बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान मराठवाड़ा और उत्तरी महाराष्ट्र में कोरोना को काबू करने के प्रशासन के फ़ैसलों पर चिंता जताते हुए कहा कि ग्रामीण इलाकों में महामारी के प्रसार को रोकने के लिए सख़्त क़दम नहीं उठाए गए हैं.
बीएमसी के आंकड़ों के मुताबिक, बीते लगभग एक महीने में झुग्गियों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में कोरोना के मामलों में 60 फ़ीसदी बढ़त हुई है. एक अधिकारी के अनुसार बड़ी इमारतों में लोगों ने अब सख़्ती बरतनी बंद कर दी है और बाहरी लोग आ-जा रहे हैं.
बीएमसी का कहना है कि धारावी में कोरोना संक्रमित इन 75 फीसदी लोगों की उम्र 21 से 60 साल के बीच है. 20 मई तक धारावी में कोरोना के 1,360 मामले दर्ज हुए. इनमें से 525 को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया जबकि 56 लोगों की मौत चुकी है.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा कि मुंबई में लोकल ट्रेनों समेत रेल सेवाओं पर अगर पहले ही रोक लगा दी गई होती तो कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में इतनी वृद्धि नहीं होती. मुंबई में उपनगरीय ट्रेनों को प्राथमिकता से रोका जाना चाहिए था लेकिन भारतीय रेलवे के अधिकारी ‘इसके लिए इच्छुक नहीं’ थे.
मामला महाराष्ट्र के जलगांव का है. तेज़ बुखार से जूझ रहे डॉक्टर को अस्पतालों द्वारा समय पर भर्ती न किए जाने से उनकी तबियत बिगड़ गई और अब वे एक सरकारी अस्पाल में वेंटिलेटर पर हैं.