कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच दिल्ली में ‘फैबीफ्लू’ नाम की दवाई की किल्लत होने पर पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने 21 अप्रैल को घोषणा की थी कि उनके संसदीय क्षेत्र के लोग उनके दफ़्तर से निशुल्क यह दवा ले सकते हैं. इसके बाद सोशल मीडिया सहित राजनीतिक हलकों में हुए विरोध और दवा की जमाखोरी के आरोपों के बाद उनके ख़िलाफ़ अदालत में याचिका दायर की गई थी.
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा फटकार के बाद दिल्ली सरकार के औषधि नियंत्रक ने बताया कि भाजपा सांसद गौतम गंभीर को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स क़ानून के तहत दोषी पाया गया है. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि कुछ लोगों के पास पैसा है और वे आसानी से दवा खरीद सकते हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि वे जमाखोरी करेंगे. लोगों की मदद करने के और भी तरीके हो सकते थे.
दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा सांसद गौतम गंभीर के पास बड़ी मात्रा में फैबीफ्लू मिलने की जांच करने वाले औषधि नियामक की रिपोर्ट ख़ारिज करते हुए कहा कि इस संस्था से अदालत का भरोसा डगमगा गया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि ख़ुद को मददगार दिखाने के लिए हालात का फायदा उठाने की प्रवृत्ति की कड़ी निंदा होनी चाहिए.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि भाजपा सांसद गौतम गंभीर अच्छी मंशा से दवाएं बांट रहे थे, लेकिन महामारी के बीच उनके द्वारा उठाए गए इस क़दम को अदालत 'ज़िम्मेदाराना व्यवहार' नहीं मानती है. कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के दो विधायकों के ख़िलाफ़ भी जांच के आदेश दिए हैं.
पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद गौतम गंभीर द्वारा उनके क्षेत्र में कोरोना के इलाज में काम आने वाली दवा निशुल्क बांटे जाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या वे ऐसी दवाइयां बांट सकते हैं और क्या वे इन्हें खरीद सकने के पात्र हैं.
दिल्ली में कोरोना के इलाज में काम आने वाली दवा फैबीफ्लू की कमी के बीच पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने घोषणा की कि उनके संसदीय क्षेत्र के लोग उनके दफ़्तर से निशुल्क यह दवा ले सकते हैं. जानकारों के मुताबिक़, बिना ड्रग लाइसेंस के नेताओं का इस तरह दवा बांटना ग़ैर क़ानूनी है.