इस अध्यादेश को यदि केंद्र सरकार की मंजूरी मिल जाती है तो राज्य में श्रमिकों के स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति और ट्रेड यूनियनों, कॉन्ट्रैक्चुअल वर्कर और प्रवासी मजदूरों से संबंधित कई कानून निष्प्रभावी हो जाएंगे.
महाराष्ट्र श्रम विभाग के अनुसार, राज्य में 36,623 पंजीकृत कारखाने हैं जिनमें 28.54 लाख श्रमिक काम करते हैं. बुधवार तक उनमें से 5,458 कारखाने 2.41 लाख मजदूरों के साथ काम कर रहे हैं.
यूएन मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने कहा कि इस महामारी से सामना करने के लिए राज्यों को अतिरिक्त शक्तियों की आवश्यकता है. हालांकि अगर कानून के शासन को बरकरार नहीं रखा जाता है तो ये महामारी एक मानवाधिकार आपदा में तब्दील हो जाएगी.
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने कहा था कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण टीकाकरण अभियान सीमित कर देने से दुनियाभर में 11.7 करोड़ बच्चे खसरा के ख़तरे का सामना कर रहे हैं.
महाराष्ट्र में 13,448 औद्योगिक इकाइयों को अपना कामकाज बहाल करने की अनुमति मिली है, वहीं गुजरात के सांणद में वाहन उद्योगों ने फिर से काम करना शुरू कर दिया है. यहां 50 प्रतिशत क्षमता के साथ काम हो रहा है.
एक याचिका में कोरोना वायरस के दौरान प्रवासी श्रमिकों, राज्यों के निवासियों और पर्यटकों के को रियायती खाद्यान्न और सरकारी योजना के लाभ उपलब्ध दिलाने के लिए अस्थायी रूप से एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना अपनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था.
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव के टेलिफोनिक सर्वे में ये जानकारी सामने आई है कि देश के अधिकतर सूचना आयोग एकाध स्टाफ के सहारे काम कर रहे हैं. अधिकतर आयोगों के ऑफिस नंबर या हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने पर किसी ने जवाब नहीं दिया.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि ऐसी सूचना है कि कई रोहिंग्या मुसलमान तबलीगी जमात के ‘इज्तिमास’ और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल हुए थे और उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका है.
झारखंड हाईकोर्ट से ज़मानत पाने वाले छह लोगों में से एक भाजपा के पूर्व सांसद हैं. कोर्ट ने कहा कि हर व्यक्ति पीएम-केयर्स में 35,000 रुपये जमा कराएगा और भुगतान का प्रमाण कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा.