झारखंड के गुमला ज़िले में ये अफवाह उड़ायी गई थी कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलाने के लिए मुस्लिम जान-बूझकर जगह-जगह पर थूक रहे हैं.
कोरोना वायरस के मद्देनज़र असम के एक गैर सरकारी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि ऐसी ही राहत उन लोगों को भी दिए जाने की आवश्यकता है, जिन्हें फॉरेन ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी नागरिक घोषित किए जाने के बाद हिरासत में रखा गया है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त के प्रवक्ता रूपर्ट कोलविले ने ख़ासकर उन लोगों को जिन्हें ज़्यादा ख़तरा है, जैसे- गर्भवती महिलाएं, मधुमेह पीड़ित, बुजुर्ग कैदी, छोटे-मोटे अपराध में बंद कैदी और ऐसे लोग जो अपनी सज़ा करीब-करीब पूरी कर चुके हैं, उन्हें भी रिहा करने की सिफ़ारिश की है.
संगठन के मुताबिक भारत में लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन से मजदूर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और उन्हें अपने गांवों की ओर लौटने को मजबूर होना पड़ा है.
कई राज्य सरकारों और विशेषज्ञों द्वारा लॉकडाउन की अवधि को 14 अप्रैल से आगे बढ़ाए जाने के सुझाव के बाद कोरोना वायरस पर मंत्रियों के समूह ने 15 मई तक सभी शैक्षणिक संस्थाओं को बंद रखने और लोगों की सहभागिता वाली सभी धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाने की सिफारिश की है.
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कहा गया है कि वृद्ध क़ैदी और पहले से ही उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय और फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति कोरोना वायरस के संक्रमण से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल कर मीडिया के एक वर्ग पर सांप्रदायिक नफ़रत फैलाने का आरोप लगाया है. याचिका में कहा गया है कि तबलीग़ी जमात की दुर्भाग्यपूर्ण घटना का इस्तेमाल पूरे मुस्लिम समुदाय को दोष देने में किया जा रहा है.
भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, भारत में साल 2006 से 2016 के बीच 27.1 करोड़ लोग ग़रीबी से बाहर आए हैं, लेकिन अब लॉकडाउन के चलते कई लोगों की ज़िंदगी अधर में है. इसके चलते हज़ारों लोग बेरोज़गार हुए है और अपने गांव-क़स्बों की ओर लौटने को मजबूर हैं.
एक जनहित याचिका में शहरों से पलायन न करने वाले कामगारों को पारिश्रमिक दिए जाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे बताया गया है कि ऐसे कामगारों को आश्रय गृहों में भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है और ऐसी स्थिति में उन्हें पैसे की क्या जरूरत है.
कोरोना संकट के दौरान देश-विदेश से महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती घरेलू हिंसा की ख़बरें आ रही हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच घर में बंद रहने के अलावा कोई चारा भी नहीं है. लेकिन अफ़सोस कि टीवी पर आ रहे निर्देशों में पारिवारिक हिंसा पर जागरूकता के संदेश नदारद हैं. महिलाओं पर पड़े कामकाज के बोझ को भी चुटकुलों में तब्दील किया जा चुका है.
साल 2019 में हिंदू महासभा की राष्ट्रीय सचिव पूजा शकुन पांडेय और उनके पति अशोक पांडेय को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उनके पुतले को गोली मारने के लिए अलीगढ़ पुलिस ने गिरफ़्तार किया था.
पुलिस के अनुसार, नगांव ज़िले के ढींग विधानसभा क्षेत्र से ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के विधायक अमीनुल इस्लाम का एक कथित ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वे राज्य में कोरोना का इलाज कर रहे अस्पतालों और क्वारंटाइन सेंटरों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं.
कोरोना संक्रमण फैलने से रोकने के लिए राज्य सरकार ने 700 कैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया है. इस कदम का स्वागत करते हुए एमेनस्टी इंडिया ने कहा है कि मुख्यमंत्री को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हिरासत केंद्रों में विदेशी घोषित किए गए और संदिग्ध नागरिकों को भी तत्काल रिहा किया जाए.
अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अनुसार, कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर में 69,527 लोगों की मौत हो चुकी है और अब तक संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 1,277,962 हो गई है.
कोरोना वायरस से सुरक्षा के मद्देनज़र देश में 25 मार्च से 21 दिनों का लॉकडाउन लागू किया गया है. लॉकडाउन से पहले ही देश के स्कूल और कॉलेज एहतियातन बंद कर दिए गए थे.