‘हैदराबाद से गोरखपुर के लिए 73 हजार रुपये में एम्बुलेंस ली थी, पर भाई पहुंचने से पहले ही चल बसे’

गोरखपुर ज़िले के भटहट क्षेत्र के एक गांव के रहने वाले राजेंद्र और धर्मेंद्र निषाद हैदराबाद में काम करते थे, जहां लॉकडाउन के दौरान राजेंद्र की तबियत बिगड़ी और डॉक्टरों ने जवाब दे दिया. गांव की ज़मीन गिरवी रख और क़र्ज़ लेकर किसी तरह उन्हें घर लाया जा रहा था, जब उन्होंने गांव के रास्ते में दम तोड़ दिया.

लॉकडाउन: हैदराबाद से साइकिल चलाकर मज़दूर दिवस पर महराजगंज पहुंचे सात कामगार

पूर्वी उत्तर प्रदेश के महराजगंज के सात मज़दूर काम करने हैदराबाद गए थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया. ऐसे में उन्होंने थोड़ी-बहुत जमापूंजी से साइकिल खरीदी और घर की ओर निकल पड़े.

लॉकडाउन: गृह मंत्रालय ने फंसे हुए लोगों को शर्तों के साथ आवाजाही की अनुमति दी

गृह मंत्रालय ने कहा कि उसने देश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की है और पाया है कि लॉकडाउन के कारण अब तक बहुत फायदे हुए हैं और चार मई से अनेक जिलों में पर्याप्त राहतें देने के लिए नये दिशानिर्देश जल्द जारी किये जाएंगे.

कोरोना के प्रकोप के बीच दक्षिण एशिया में स्वास्थ्य संकट का सामना कर सकते हैं बच्चे: यूनिसेफ

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने कहा था कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण टीकाकरण अभियान सीमित कर देने से दुनियाभर में 11.7 करोड़ बच्चे खसरा के ख़तरे का सामना कर रहे हैं.

महाराष्ट्र की औद्योगिक इकाइयों को काम करने की अनुमति, गुजरात के सांणद में भी कुछ उद्योग शुरू

महाराष्ट्र में 13,448 औद्योगिक इकाइयों को अपना कामकाज बहाल करने की अनुमति मिली है, वहीं गुजरात के सांणद में वाहन उद्योगों ने फिर से काम करना शुरू कर दिया है. यहां 50 प्रतिशत क्षमता के साथ काम हो रहा है.

कोरोना संकट से निपटने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भूमिका बेहद ज़रूरी है

आज जब समाज एक वैश्विक महामारी से गुज़र रहा है, तो नगर प्रतिनिधियों की इसमें कोई तय भूमिका नहीं दिखाई दे रही है. औपचारिक रणनीति में भी उनकी ज़िम्मेदारियां स्पष्ट नहीं हैं, नतीजतन शहरी प्रशासन के ढांचे का एक हिस्सा निष्क्रिय जान पड़ता है.

प्रधानमंत्री जी! आप ही बताएं कि हम लोग कोरोना से लड़ें कि भूख से…

उत्तर प्रदेश और बिहार के 34 मज़दूर कर्नाटक के शिमोगा ज़िले में फंसे हैं. बालू खनन का काम करने वहां गए मज़दूरों का कहना है कि जो थोड़े-बहुत पैसे थे, वो अब तक के लॉकडाउन के दौरान ख़त्म हो चुके हैं. अब अगर यहां से नहीं निकाला गया तो भुखमरी जान ले लेगी.

क्या समय पर खाना-दवाई न मिलने से क्वारंटाइन सेंटर में हुई शख़्स की मौत?

वीडियो: दिल्ली के सुल्तानपुरी क्वारंटाइन सेंटर में पिछले हफ्ते 59 वर्षीय मोहम्मद मुस्तफ़ा की मौत हो गई. वे पिछले महीने तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए थे. आरोप है कि वे डायबिटीज़ के मरीज़ थे और समय पर इलाज और खाना न मिलने से उनकी मौत हुई है.

दिल्ली: लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मज़दूरों को खाने के लिए घंटों करना पड़ रहा इंतज़ार

वीडियो: कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन के बीच दिल्ली के भलस्वा डेयरी इलाके में फंसे प्रवासी मज़दूरों को भोजन के लिए बनी लंबी लाइनों में घंटों अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ रहा है.

कोरोना संकट ने रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन गई असमानता को उघाड़कर रख दिया है

इस वायरस ने इस दुनिया को पूरी तरह से छिन्न-भिन्न कर डाला है. इसने हमारे समय की उन नाइंसाफ़ियों से रूबरू करवाया है, जो हमारी अर्थव्यवस्था और राजनीति की बेमिसाल क्रूरता दर्शाती हैं.

भारत में पनपते इस्लामोफोबिया पर खाड़ी देशों में उठे सवाल

वीडियो: भारत में कोरोनावायरस संक्रमण को सांप्रदायिक रंग दिए जाने के बाद खाड़ी के देशों में काम करने वाले भारतीयों द्वारा सोशल मीडिया पर इसी तरह के पोस्ट लिखने पर इन देशों के पत्रकारों, वकीलों और शाही परिवार के लोगों ने विरोध जताया है. इस बारे में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी से गल्फ़ न्यूज़ के संपादक बॉबी नक़वी की बातचीत.

कोरोना वायरस से ज़्यादा ख़तरनाक दरबारी मीडिया की सांप्रदायिकता

वीडियो: दिल्ली के निज़ामुद्दीन पश्चिम स्थित एक मरकज़ में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल लोगों में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है, जिसे भारत के बड़े मीडिया संगठनों ने अलग ढंग से पेश किया है. इस मुद्दे पर चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.