केंद्रीय सतर्कता आयोग की 2021 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि रेल मंत्रालय उन सरकारी विभागों की सूची में सबसे ऊपर है, जिन्होंने भ्रष्ट अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने संबंधी सीवीसी के सुझावों का पालन नहीं किया और अपने मनमुताबिक़ मामलों का निपटारा कर दिया.
बीते पांच जुलाई को जारी शासनादेश के अनुसार, उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी विभागों को 31 जुलाई तक ऐसे कर्मचारियों की स्क्रीनिंग का काम पूरा कर 15 अगस्त तक इसकी सूचना कार्मिक विभाग को देने को कहा गया है.
इस सूची में लोकसभा के तीन मौजूदा सदस्यों समेत 130 से ज़्यादा लोगों का नाम शामिल है. सीबीआई सबसे ज़्यादा नौ मामलों के लिए केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय की मंज़ूरी मिलने का इंतज़ार कर रही है.
आरोपियों में आईएएस के सेवा अधिकारी, ईडी और आयकर विभाग के अधिकारी शामिल हैं. इन आरोपियों में से 45 विभिन्न सरकारी बैंकों से जुड़े हैं.
इन मामलों में बैंकों के 13 कर्मचारी शामिल हैं. सबसे ज़्यादा नौ मामले कार्मिक मंत्रालय के पास मंज़ूरी के लिए लंबित पड़े हैं.
राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर राजस्थान की वसंधुरा सरकार के ‘काले क़ानून’ पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए राजस्थान पत्रिका अख़बार ने अपना संपादकीय ख़ाली छोड़ दिया.
अख़बार के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने एक लेख में लिखा, वसुंधरा राजे जब तक विवादित क़ानून को वापस नहीं लेतीं, तब तक अख़बार उनसे संबंधित समाचारों का प्रकाशन नहीं करेगा.'