एक वेबिनार में 'कोर्ट और संवैधानिक मूल्य' विषय पर बोलते हुए जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि संवैधानिक संस्थानों की विश्वसनीयता कम हो गई हैं, क्योंकि यहां पदों पर बैठे लोगों के पास संविधान को बरक़रार रखने की हिम्मत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा बुलाई गई अप्रत्याशित प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि तब उन्हें और बाकी जजों को ऐसा लगा था कि मामलों का आवंटन राजनीतिक दुर्भावना से किया जा रहा था.
बीते 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए जस्टिस जोसेफ ने 12 जनवरी को किए प्रेस कॉन्फ्रेंस के संदर्भ में कहा कि उन्होंने कोर्ट की समस्याओं के बारे में पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को बताया था. लेकिन जब कोई हल नहीं निकला तो मीडिया के सामने आना पड़ा.
जस्टिस कुरियन जोसेफ ने इस साल 12 जनवरी को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी. लोकुर और पूर्व न्यायाधीश जे. चेलामेश्वर के साथ मिलकर एक संवाददाता सम्मेलन किया था जिसमें शीर्ष अदालत में मामलों के आवंटन सहित गंभीर प्रश्न उठाए थे.
ऐसा नहीं है कि न्यायपालिका में जारी गड़बड़ियों से आम आदमी बेख़बर हो, लेकिन न्यायपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार आमतौर पर अवमानना के डर से कभी भी सार्वजनिक बहस का मुद्दा नहीं बन सका.