भारत में कोविड-19 से बचाव के लिए टीके की अब तक 103.99 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं. इसमें से क़रीब 77 फीसदी वयस्कों को पहली डोज़ और सिर्फ 34 फीसदी वयस्कों को ही दोनों डोज़ लग पाई है.
टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (टिस) के प्रोफेसर आर. रामकुमार ने कोविड-19 टीके का 100 करोड़ डोज़ के लक्ष्य प्राप्ति को ‘भारतीय विज्ञान की जीत’ बताते हुए प्रधानमंत्री के ट्वीट की भी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि देश में 88 फ़ीसदी टीका कोविशील्ड का लगाया गया है, जो कि एक ब्रिटिश वैक्सीन है. टीकाकरण की धीमी रफ़्तार और टीके की कमी के चलते इस साल के आख़िर तक सभी वयस्कों को दोनों डोज़ लगाने का सरकार का लक्ष्य भी
स्क्रोल डॉट इन की रिपोर्ट के मुताबिक़, 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर ज़्यादा कोविड टीकाकरण दिखाने के लिए बिहार सरकार ने 15 और 16 सितंबर के दैनिक टीकाकरण आंकड़ों को कोविन पोर्टल पर अपलोड नहीं किया और इसे 17 सितंबर वाले आंकड़ों में जोड़ा गया.
घरेलू टीकाकरण प्रावधान की घोषणा करते हुए भारत के कोविड -19 टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. वीके पॉल ने कहा कि विशेष रूप से सक्षम तथा चलने-फिरने में असमर्थ लोगों के लिए देखरेख और मानक संचालन प्रक्रिया का पालन करके हम घर पर टीकाकरण का प्रावधान करेंगे. घरेलू टीकाकरण के लिए हम जो व्यवस्था करेंगे, वह प्रभावी और सुरक्षित होगी.
एक एनजीओ इवारा फाउंडेशन ने अदालत में याचिका दायर विशेष रूप से सक्षम लोगों के लिए भी घर-घर जाकर कोविड-19 टीकाकरण की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए याचिका दायर की है.