मोदी सरकार सोचती है कि यह कृषि उत्पादों के वैश्विक व्यापार को मनमर्ज़ी ढंग से नियंत्रित कर सकती है और किसानों और व्यापारियों को नुकसान पहुंचाए बगैर अपने फ़ैसलों को रातोंरात बदल सकती है.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, थोक महंगाई दर जुलाई में माइनस 0.58 फीसदी रही, जबकि जून महीने में यह माइनस 1.81 फीसदी थी.
भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार भी दिसंबर 2019 में खुदरा महंगाई की दर सामान्य स्तर को लांघ चुकी है. वहीं, दिसंबर महीने में सब्जियों की कीमतें पिछले साल से औसतन 60.5 फीसदी ऊपर थीं. साल 2014 में खुदरा महंगाई दर 7.39 फीसदी पर चल रही थी.
यूपीए सरकार की तुलना में बीते पांच वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी दर में वृद्धि बहुत कम रही है और यह सिर्फ कृषि क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, थोक मुद्रास्फीति मई में 14 महीने के उच्चतम स्तर 4.43 प्रतिशत पर पहुंच गई है. पिछले साल मई महीने में यह 2.26 प्रतिशत थी.
ईंधन, सब्जियों तथा अंडों के दाम बढ़ने से नवंबर महीने में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 4.88 प्रतिशत पर पहुंच गई.