देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में सड़क किनारे या झुग्गी-बस्तियों में ज़िंदगी बिता रहे लोगों की मुश्किलें भी बढ़ गईं. हरियाणा के नूंह ज़िले के कुछ ऐसे ही मेहनतक़श परिवार केवल समाज के रहम पर दिन गुज़ार रहे हैं.
इस वायरस ने इस दुनिया को पूरी तरह से छिन्न-भिन्न कर डाला है. इसने हमारे समय की उन नाइंसाफ़ियों से रूबरू करवाया है, जो हमारी अर्थव्यवस्था और राजनीति की बेमिसाल क्रूरता दर्शाती हैं.
हम वो देश हैं जो जुगाड़ पर नाज़ करता है, 5000 साल पहले की तथाकथित उपलब्धियों के ख्वाबों की दुनिया में रहता है. उससे यह उम्मीद करना बेमानी है कि वह व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में इतनी मेहनत करेगा कि वे बिना किसी रुकावट के और सक्षम तरीके से काम कर सकें.
19 अप्रैल को गृह मंत्रालय द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के भीतर मजदूरों के आवागमन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए दिशानिर्देश दिए गए हैं. हालांकि इनके व्यावहारिक रूप से लागू होने पर कई सवाल हैं.
बीते दस दिनों में पूर्वी उत्तर प्रदेश के रहने वाले दो मज़दूरों ने बीमारी के चलते मुंबई और दिल्ली में दम तोड़ दिया, पर लॉकडाउन और ख़राब आर्थिक स्थिति के चलते परिजन उनका शव लाने नहीं जा सके. आजीविका के लिए परिवार से हज़ारों मील दूर रह रहे इन लोगों को अंतिम समय में भी अपनों का साथ नसीब नहीं हुआ.
तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने अनेक पत्रकारों के संक्रमित लोगों के संपर्क में आने पर चिंता जताते हुए सरकार तथा अन्य लोगों से अपील की है कि लॉकडाउन समाप्त होने तक सभी संवाददाता सम्मेलन स्थगित कर दिये जाएं तथा राज्य सरकार सभी पत्रकारों की कोरोना जांच युद्धस्तर पर कराए.
मुंबई के मामलों के सामने आने के बाद ही सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि अखबार और मीडिया प्रतिष्ठानों को एक सलाह जारी की जा रही है. देश में कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र अब तक संक्रमण के 4,666 मामले सामने आ चुके हैं और 232 लोग जान गंवा चुके हैं.
प्लाज़्मा तकनीक में कोरोना वायरस के संक्रमण से उबर चुके व्यक्ति के ख़ून की एंडीबॉडी का इस्तेमाल कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित मरीज़ों के इलाज के लिए किया जाता है.
यह समय सरकारों के लिए असाधारण काम करने का है, नागरिकों पर ही ज़िम्मेदारी डाल देने और नियोजकों की सदाशयता के भरोसे रहने का नहीं.
ग़ैर सरकारी संगठन भोजन का अधिकार अभियान के सर्वे में ये बात सामने आई है कि आंगनबाड़ियों, स्वास्थ्य केंद्रों और दाल-भात केंद्रों से ग्रामीण झारखंड के लोगों को बहुत कम जन सहायता मिल रही है. दोगुने राशन के वितरण में बहुत अनियमितताएं हैं.
वीडियो: बीते 24 मार्च को हुए देशव्यापी लॉकडाउन में गुड़गांव में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले नानबाबू फंस गए. इस दौरान कालिंदी कुंज में रहने वाले पड़ोसियों ने चंदा इकट्ठा कर उनकी पत्नी रेशमा की डिलीवरी कराई और खाने-पीने का इंतजाम कर रहे हैं. विशाल जायसवाल की रिपोर्ट.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ‘पीएम केयर्स’ फंड की संपूर्ण राशि ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष’ में स्थानांतरित करने, सरकारी खर्च में 30 प्रतिशत की कटौती करने, 'सेंट्रल विस्टा' परियोजना को स्थगित करने और सरकारी विज्ञापनों पर दो साल तक रोक लगाने का अनुरोध किया.
दिल्ली के कालिंदी कुंज के श्रम विहार इलाके में बसे एक कैंप में रहने वाली 23 वर्षीय रेशमा के पति दिहाड़ी मज़दूर हैं, जो लॉकडाउन के चलते गुड़गांव में फंस गए हैं. रेशमा ने दस दिन पहले बेटी को जन्म दिया है. बिना पैसे और खाने के वह पड़ोसियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद के सहारे रह रही हैं.
कोरोना वायरस के चलते देश में लागू लॉकडाउन झारखंड के डेयरी किसानों के लिए भारी पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि सरकार जिस तरह से ज़रूरतमंदों को राशन दे रही है, वैसे ही किसानों को भी पशु आहार मुफ्त में मिलना चाहिए.
केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के मद्देनजर सांसद निधि को दो साल के लिए निलंबित करने का फैसला किया है. सांसद निधि को निलंबित किए जाने पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने कहा कि इससे नई दिल्ली की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखा जाएगा, न कि 543 सांसदों के स्थानीय मुद्दों को.