साबरकांठा ज़िले के अल्पेश पंड्या का आरोप है कि मूंछ रखने के चलते ठाकोर समुदाय के लोगों ने उसे पीटा, साथ ही जबरन मूंछ भी मुंड़वा दी.
टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान में एससी/एसटी छात्रों को मिलने वाली आर्थिक मदद को संस्थान ने ख़त्म कर दिया है. इसके विरोध में मुंबई, हैदराबाद, गुवाहाटी, तुलजापुर (महाराष्ट्र) कैंपस के छात्र-छात्राओं ने बंद का ऐलान किया है.
पाटण ज़िले के दूधका गांव के दलितों को पैसा जमा करने के बाद भी लगभग तीन साल से ज़मीन आवंटित नहीं की गई है. निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने वणकर की आत्महत्या को ‘सरकारी हत्या’ क़रार दिया है.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार देश में दलित महिलाओं के लिए मृत्यु का जोखिम उचित साफ-सफाई, पानी की कमी और समुचित स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में बढ़ जाता है.
जाति-हिंसा लंबे समय से महाराष्ट्र की संस्कृति का अंग रही है. यहां हिंदुत्ववादी राजनीति का विकास कोई एक दिन मे नहीं हुआ है. इसे कई दशकों तक सक्रिय तरीके से खाद-पानी देने का काम कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस ने किया.
भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आज़ाद रावण से जेल में मिलकर लौटे उनके साथी प्रदीप नरवाल ने अनुभव साझा किए हैं.
भीम आर्मी डिफेंस कमेटी के संयोजक प्रदीप नरवाल ने कहा कि चंद्रशेखर की जगह अगर आज बाबा साहेब आंबेडकर होते तो भाजपा सरकार उन पर भी रासुका लगा देती.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक याचिका के जवाब में कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को पत्राचार में दलित शब्द के इस्तेमाल से बचना चाहिए क्योंकि यह शब्द संविधान में नहीं है.
भाजपा सत्ता में आने के बाद यह कह रही है कि आंबेडकर उसके लिए प्रातः स्मरणीय हैं लेकिन उन्हीं के संगठन और सरकार से संबंधित लोग मनुस्मृति के गौरवगान के साथ संविधान को बदलने की बात कर रहे हैं.
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में 80 प्रतिशत जज न्यायपालिका से जुड़े परिवारों से हैं.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस से मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि एक जनवरी की हिंसा के लिए निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी जिम्मेदार नहीं हैं.
नरेंद्र मोदी सरकार कई अहम मोर्चों, मसलन रोज़गार और निवेश पर नाकाम रही है. जैसा कि हमने उत्तर प्रदेश और अब गुजरात में देखा, जब बाकी सारी चीज़ें चुक जाती हैं, तब हिंदुत्व काम आता है.
गुजरात से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी और जेएनयू के छात्रनेता उमर ख़ालिद ने भीमा-कोरेगांव हिंसा के संबंध में भड़काऊ भाषण देने के आरोपों को नकारा.
महाराष्ट्र में पुणे ज़िले के भीमा-कोरेगांव के लोगों ने हिंसा के लिए बाहरी लोगों को दोषी बताया, मुआवज़े की मांग, भिड़े का हिंसा में शामिल होने से इनकार.
जो लोग भीमा-कोरेगांव युद्ध की याद में आयोजित समारोह के आयोजकों को राष्ट्रद्रोही सिद्ध कर रहे हैं वो यह क्यों छुपा ले जाते हैं कि न जाने कितनी बार मराठों ने भी अंग्रेज़ों के साथ मिलकर अन्य राज्यों के ख़िलाफ़ लड़ाइयां लड़ी हैं.