सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश की स्वतंत्रता को 70 साल से अधिक बीत चुके हैं लेकिन आज भी जातिगत भेदभाव बरक़रार है. हर महीने मैला ढोने के काम में लगे चार से पांच लोग की मौत हो रही है.
ठेकेदार ने मजदूरों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं कराए थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को दस-दस लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता सचिव नीलम साहनी ने स्वीकार किया कि सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान सफाई कर्मचारियों की मौत का सिलसिला अभी भी जारी है और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के बावजूद इन सभी मामलों में 10 लाख रुपये के मुआवजे का भी भुगतान नहीं किया गया.
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, ये आंकड़े सिर्फ आठ राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के हैं.
आरोप है कि सफाईकर्मियों ने बिना सुरक्षा उपकरण के सेप्टिक टैंक में घुसने से मना कर दिया था, लेकिन उन पर दबाव डालकर टैंक साफ करने के लिए मजबूर किया गया.
यह घटना गुजरात के दाभोई तालुका की है. सेप्टिक टैंक की सफाई करने उतरे सफाई कर्मचारियों को खोजने एक-एक कर लोग गए और सभी की अंदर दम घुटने से मौत हो गई.
पश्चिमोत्तर दिल्ली के केशवपुरम इलाके में हुआ हादसा. पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू की.
पुलिस ने बताया कि यह घटना मंगलवार दोपहर में रोहिणी के प्रेम नगर इलाके में हुई. पांच मज़दूर एक पुराने मकान के सेप्टिक टैंक में उतरने के बाद बेहोश हो गए. अस्पताल में इलाज के दौरान उनमें से दो को मृत घोषित कर दिया गया.
सुपौल जिले के सिमरिया गांव में हुआ हादसा, डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय से बंद शौचालय की टंकी में बनी जहरीली गैस के चलते हुई मज़दूरों की मौत.
हम भी भारत की तीसरी कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी सीवर सफ़ाई के दौरान लगातार हो रहीं कर्मचारियों की मौतों पर वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह और हेजर्ड्स सेंटर के दुनू रॉय से चर्चा कर रही हैं.