द वायर द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि केंद्र की पीएसएस योजना के तहत दालें एवं तिलहन की ख़रीद के लिए 25.79 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन सरकारों ने इसमें से 14.20 लाख किसानों से ही उनकी उपज की ख़रीददारी की है.
द वायर द्वारा सूचना का अधिकार क़ानून के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि केंद्र सरकार ने रबी-2020 ख़रीद सीज़न में 20 राज्यों से कुल 58.71 लाख टन दालें और तिलहन ख़रीदने का लक्ष्य रखा था, हालांकि इसमें से सिर्फ़ 29.25 लाख टन उपज की ख़रीदी हो पाई है.
द वायर द्वारा प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि कृषि मंत्रालय ने कहा था कि चूंकि पीएम-किसान योजना के तहत पूरी राशि ख़र्च नहीं हो पा रही है, इसलिए जो राशि बच गई है उसे अन्य योजनाओं के इस्तेमाल में लाया जा सकता है. हालांकि वित्त मंत्रालय ने इस मांग को ख़ारिज कर दिया था.
मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पाने के लिए पिछले कुछ सालों में कई कृषि योजनाओं को लॉन्च किया था. हालांकि इनके लागू होने की खराब स्थिति के चलते सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इन योजनाओं के आवंटित बजट में बड़ी कटौती की है.