बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर की सरकारों से जीआरएपी-4 को सख़्ती से लागू करने को कहा है. साथ ही यह जोड़ा है कि बिना अदालत की अनुमति के इसे नहीं हटाया जाएगा.
रविवार को नई दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 352 दर्ज किया गया. यह ‘बेहद ख़राब’ की श्रेणी में आता है. आनंद विहार इलाके में एक्यूआई 400 को पार कर गया, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते छह नवंबर को केंद्र को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग न हो. अब अदालत ने कहा है कि केंद्र राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती इलाकों में प्रदूषण से निपटने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा अब तक उठाए कदमों की जानकारी मुहैया कराए.
केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि केंद्र दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य स्थानों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सभी क़दम उठा रहा है.
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 नाम की एक रिपोर्ट के अनुसार, लंबे समय तक वायु प्रदूषण मे रहने कारण दिल का दौरा, डायबिटीज़, फेफड़ों के कैंसर और जन्म के समय होने वाली बीमारियों आदि की चपेट में आकर साल 2019 में भारत में 16,67,000 लोगों की मौत हुई.
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना शुरू हो गया है और धुआं दिल्ली पहुंचने लगा है. उनका आरोप है कि केंद्र सरकार पर उत्तर भारत को प्रदूषण से बचाने में पूरी तरह विफल रही.
कोर्ट ने प्रदूषण पर काबू पाने में विफल रहने के लिए प्राधिकारियों को फटकार लगाते हुए पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिवों को समन जारी किया है. कोर्ट ने कहा है कि अगर पराली जलाने के मामले सामने आते हैं तो कलेक्टर, ग्राम प्रधान और स्थानीय प्रशासन को भी ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा.
इस बैठक में दिल्ली के अधिकरियों के अलावा पंजाब और हरियाणा सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये हिस्सा लिया. राज्यों के प्रमुख सचिवों से कहा गया है कि वे चौबीसो घंटे अपने जिलों की मॉनिटरिंग करें.
दिल्ली में भयानक प्रदूषण की वजह से एम्स अस्पताल में सांस और दिल के मरीजों की संख्या में 15 से 20 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम व नियंत्रण) प्राधिकरण ने दिल्ली-एनसीआर में हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा करते हुए पांच नवंबर तक सभी निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया. राजधानी दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 459 था. ग़ाज़ियाबाद में एक्यूआई 493 रहा, ग्रेटर नोएडा में 480, नोएडा में 477 और फरीदाबाद में 432 रहा.
रविवार रात 11 बजे दिल्ली की औसत वायु गुणवत्ता का स्तर यानी एक्यूआई 327 पर था. 2018 में दिवाली के बाद यह 600 के आंकड़े को पार कर गया था, जो सुरक्षित स्तर का बारह गुना है.
दिल्ली के मुख्य सचिव ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को उसके अधिकार क्षेत्रों में आने वाले इलाकों में अवैध रूप से मलबा डालने के लिए ज़िम्मेदार निजी एवं सरकारी एजेंसियों पर जुर्माना लगाने का निर्देश दिया. दीपावली से पहले दिल्ली में वाय प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. 26 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक नई दिल्ली के नेहरू नगर, अशोक विहार, जहांगीरपुरी, रोहिणी, वज़ीरपुर, बवाना, मुंडका और आनंद विहार में वायु गुणवत्ता सूचकांक क्रमश: 340, 335, 339, 349, 344, 363, 381 और 350 दर्ज किया गया.
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक मंगलवार को नई दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 394 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है.