यूएपीए संबंधी एक मामले में आईएसआईएस की विचारधारा के प्रसार के आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप तय करते हुए दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि किसी विशेष धार्मिक फिलॉसफी वाला साहित्य रखना अपराध नहीं है जब तक कि किसी आतंकवादी कृत्य में उसके अमल को दिखाने वाली सामग्री मौजूद न हो.