पिछली सुनवाई में दिल्ली सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा था कि उसका कामकाज पूरी तरह पंगु है और वह राष्ट्रीय राजधानी के प्रशासन के बारे में संविधान पीठ के फैसले के बावजूद अधिकारियों के तबादले या पदस्थापना का आदेश नहीं दे सकती है.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दिल्ली को राज्य नहीं माना जा सकता और ऐसा करने से निश्चित रूप से अव्यवस्था फैलेगी.