पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के जूनियर डॉक्टरों ने एक पत्र में कहा है कि सभी तरह के आवश्यक मेडिकल किट और मास्क के बिना हम ड्यूटी पर हैं. हमारे कई डॉक्टरों में वायरस के लक्षण है, लेकिन यहां कोई सुन ही नहीं रहा है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा है कि पुलिस का काम पत्रकार के काम में बाधा डालना नहीं है, खासतौर पर मौजूदा परिस्थितियों में, बल्कि उनके कामकाज में सहायक बनना है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लॉकडाउन के बीच लोगों से मस्जिदों में इकट्ठा नहीं होने और घरों में ही रहकर जुमे की नमाज़ अदा करने की अपील की है.
औरंगाबाद के चिकलथाना क्षेत्र के सरकार अस्पतालों की नर्सों ने बताया है कि अस्पताल में पर्याप्त व्यक्तिगत सुरक्षा किट, आवश्यक दवाएं, सैनिटाइजर और हैंडवाश सुविधाएं नहीं हैं. पूरे देश में महाराष्ट्र ही ऐसा राज्य है, जहां कोरोना वायरस के संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं.
निर्माण कार्यों में लगे मज़दूर, रेहड़ी-पटरी और खोमचे वाले और रिक्शा चलाने वाले श्रमिकों का एक बड़ा वर्ग है जो रोज़ कमाता है और रोज़ परिवार का पेट भरता है, लेकिन कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के बाद ऐसे लाखों दिहाड़ी मज़दूरों के समक्ष रोज़ीरोटी का संकट खड़ा हो गया है.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने कोरोना वायरस की जांच के लिए प्राइवेट लैब और नॉन-यूएसएफडीए/यूरोपियन सीई किट को मंज़ूरी देने का काम तेज़ कर दिया है. परिषद ने अब तक इस तरह के कुल तीन किट को मंज़ूरी दी है, जिसमें ‘माईलैब’ नाम की एक भारतीय कंपनी शामिल है.
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल के अनुसार, हंटा वायरस नया नहीं है और इसका पहला मामला 1993 में आया था. यह चीज़ों को कुतरने वाले जीवों जैसे कि चूहे, गिलहरी इत्यादि से फैलता है.
वीडियो: कोरोना वायरस के अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे प्रभाव पर अर्थशास्त्री प्रो. अरुण कुमार से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और दिल्ली इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में केवल आठ विधायक हैं, जिनके ख़िलाफ़ कोई केस दर्ज नहीं है और उन्होंने उन प्रत्याशियों को हराया, जिनके ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज हैं.
दक्षिण पूवी दिल्ली का मामला. ज़हरीली गैस की चपेट में आने से हुई मौत. पुलिस ने केस दर्ज किया. पुलिस ने बताया कि मृतक ने सुरक्षा संबंधी उपकरण नहीं पहने हुए थे.
कोरोना वायरस के बढ़ते ख़तरे को देखते हुए बीते मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की थी. इस दौरान आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई जारी रहेगी.
सरकारी अधिसूचना के मुताबिक, कोरोना वायरस के डर से डॉक्टरों और अन्य अर्द्धचिकित्साकर्मियों पर किराये के घर खाली करने का दबाव बनाना इस वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई की जड़ पर वार करता है और यह आवश्यक सेवाओं में बाधा उत्पन्न करने के बराबर है.
राजधानी दिल्ली समेत देश के कुछ हिस्सों से कोरोना वायरस संक्रमितों के इलाज में लगे डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को उनके किराये के मकानों से निकाले जाने की ख़बरें आ रही हैं. लोगों का कहना है कि इनसे वायरस फैलने का ख़तरा है. एम्स के रेजिडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन ने गृह मंत्री को पत्र लिख इसकी शिकायत की है.
भारतीय चिकित्सा परिषद (आईएमए) से जुड़े सदस्यों ने मूलभूत रक्षा सूट और एन-95 मास्क जमोखोरी के कारण स्वास्थ्यकर्मियों को इसकी उपलब्धता में कमी का मुद्दा उठाया.
गृह मंत्रालय ने इस संबंध में सेंट्रल एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट सिक्योरिटी इंडस्ट्री, सीआईआई, फिक्की, एसोचैम तथा अन्य संगठनों को पत्र लिखा है.