संप्रग अध्यक्ष ने कहा, 'कांग्रेस को तबाह करने के लिए सरकार ने कोई कसर बाकी नहीं रखी. साम-दाम-दंड-भेद का खुला खेल चल रहा है. लेकिन, सत्ता के अहंकार के आगे कांग्रेस न कभी झुकी है और न कभी झुकेगी.
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बेघरों को आश्रय देने के तमाम दावे भले ही करें लेकिन हक़ीक़त यह है कि देश की राजधानी में मौजूद रैनबसेरे दिखावा मात्र हैं.
उपराज्यपाल को लिखे पत्र में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘आप दिल्ली के उपराज्यपाल हैं. आप आईएएस अधिकारी रहे हैं, लेकिन मैं आपसे आईएएस अधिकारी के चश्मे से चीजों को नहीं देखने का अनुरोध करता हूं.’
कासगंज हिंसा के बाद क़स्बे के दौरे से लौटी फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में पुलिस और स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं.
हम भी भारत की 20वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी दिल्ली में अंकित सक्सेना की हत्या को राजनीतिक रंग दिए जाने पर चर्चा कर रही हैं.
जिस समाज में प्रेम के ख़िलाफ़ इतने सारे तर्क हों, उस समाज को अंकित की हत्या पर कोई शोक नहीं है, वह फ़ायदे की तलाश में है.
केजरीवाल अगर आदर्श की राजनीति कर रहे हैं, इसलिए उन्हें 21 विधायकों को संसदीय सचिव नहीं बनाना चाहिए था. तो क्या फिर बाकी मुख्यमंत्री लालच देने के लिए संसदीय सचिव का पद बांट रहे हैं?
अनधिकृत निर्माण से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि एमसीडी अगर सतर्क रहती तो ऐसे निर्माणों को रोका जा सकता था.
आप की राजनीति पर नज़र रखने वालों का कहना है कि जिस नेता ने भी अरविंद केजरीवाल के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई या उनसे असहमति व्यक्त की, उसे खामियाज़ा भुगतना पड़ा है.
बेघर शहरियों के लिए आश्रय के इंतज़ामों से जुड़ी एक रिपोर्ट में सरकार ने राज्यसभा में स्वीकार किया कि बेघरों की संख्या और मौजूदा आश्रय स्थलों की क्षमता में बहुत अंतर है.
आम आदमी पार्टी द्वारा राज्यसभा उम्मीदवारों की घोषणा किए जाने पर पार्टी नेता कुमार विश्वास ने तंज़ कसा है.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मुध कोड़ा को सुनवाई की अगली तारीख़ तक अंतरिम ज़मानत भी दे दी है.
राज्यसभा में हुई चर्चा में तृणमूल कांग्रेस ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को मजेंटा मेट्रो उद्घाटन समारोह में न बुलाने को ओछी राजनीति बताया.
ग़ालिब की संवेदनाओं में ताउम्र बेबसी झलकती रहती थी. उन्हें लगता था कि उनकी प्रतिभा को समाज ने कभी वाजिब हक़ नहीं दिया.
झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव एके बसु समेत कोयला सचिव और तत्कालीन मुख्यमंत्री के सलाहकार विजय जोशी को भी तीन साल की क़ैद की सज़ा. कंपनी पर 50 लाख का जुर्माना.