बांग्लादेश ने अडानी समूह से फिर की बिजली की क़ीमत कम करने की मांग

बांग्लादेश के पावर एंड एनर्जी एडवाइज़र मुहम्मद फौज़ुल कबीर ख़ान ने अडानी समूह द्वारा बिजली की क़ीमत कम किए जाने की मांग उठाते हुए कहा है कि 'वे किसी भी बिजली उत्पादक को उन्हें ब्लैकमेल करने नहीं देंगे.'

अडानी की कंपनी ने बांग्लादेश की बिजली आपूर्ति आधी की, पड़ोसी देश का दाम बढ़ाने का आरोप

ख़बरें हैं कि बकाया न चुकाए जाने के चलते अडानी पावर ने बांग्लादेश की बिजली आपूर्ति आधी कर दी है. हालांकि, पावर डेवलपमेंट बोर्ड के अधिकारी ने एक स्थानीय अख़बार से कहा कि पिछले बकाये का एक हिस्सा चुका दिया गया था, लेकिन जुलाई से अडानी पहले की तुलना में अधिक शुल्क ले रहे हैं.

अडानी समूह के साथ हुए पावर डील की शर्तों की समीक्षा करेगी बांग्लादेश की अंतरिम सरकार

साल 2017 के एक समझौते के तहत उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी बांग्लादेश को बिजली निर्यात करती है. अब वहां की अंतरिम सरकार न सिर्फ़ इस समझौते की शर्तों की समीक्षा करना चाहती हैं, बल्कि यह मूल्यांकन भी करना चाहती है कि बिजली के लिए जो क़ीमत चुकाई जा रही है, वो उचित है या नहीं. 

बांग्लादेश: ‘दूसरी आज़ादी’ का कट्टर और धर्मांध सवेरा?

तख्तापलट के बाद मुहम्मद यूनुस ने कहा था कि बांग्लादेश को दूसरी आज़ादी मिली है, लेकिन इसके असल लाभार्थी तमाम कट्टरपंथी संगठन बन रहे हैं.

बांग्लादेश में अस्थिरता के चलते भारत की विकास परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं: विदेश मंत्रालय

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि बांग्लादेश में उथल-पुथल के कारण कुछ परियोजनाओं पर काम रुका हुआ है. एक बार जब हालात स्थिर हो जाते हैं तो हम पड़ोसी देश से बात करेंगे.

बांग्लादेश की विभाजित अल्पसंख्यक राजनीति: हिंदू बनाम हिंदू

शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश की अल्पसंख्यक राजनीति विभाजित हो गयी है. कुछ हिंदू कहते हैं कि तख्तापलट के दौरान और उसके बाद अल्पसंख्यकों पर हमले तेज हो गये हैं, और कुछ दावा करते हैं कि ये आरोप बेबुनियाद हैं और माहौल को भड़काने के लिए हैं.

हिंदू शेख़ हसीना को विकल्पों की कमी के कारण वोट करते थे: राणा दासगुप्ता

राणा दासगुप्ता बांग्लादेश के प्रमुख अल्पसंख्यक नेता हैं. द वायर हिंदी से बात करते हुए उन्होंने दावा किया कि शेख़ हसीना के सत्ता से हटने के बाद 52 ज़िलों में अल्पसंख्यकों पर हमलों और उत्पीड़न की कम से कम 205 घटनाएं हुई हैं.

बांग्लादेश से गुज़रते हुए: क़िस्त पांच

किसी भी देश में बहुसंख्यकवाद हो, उसका प्रभाव दूसरे देश की प्रगति को बाधित करेगा. दोनों देशों की छवियां भी इससे प्रभावित होंगी. यदि भारत और बांग्लादेश में से एक में भी धर्मनिरपेक्षता ख़त्म होती है तो ऊपर से चाहे जितने भी समझौते कर लिए जाएं, कभी अमन क़ायम नहीं हो सकता.

बांग्लादेश से गुज़रते हुए: क़िस्त चार

बांग्लादेश के मूल्यों और संस्कृति के लिए घरेलू सांप्रदायिकता की अपेक्षा भारत में होने वाली मुसलमान विरोधी बयानबाज़ी और राजनीति ज़्यादा घातक है. भारत में मुसलमानों पर किए जा रहे व्यक्तिगत या संगठित अत्याचार हों, या अयोध्या और 'लव जिहाद' से संबंधित अदालती फैसले, इन सबका घातक प्रभाव बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्षता पर होता है.

बांग्लादेश से गुज़रते हुए: क़िस्त दो

बांग्लादेश में भारत के विरोध के तीन प्रमुख कारण नज़र आते हैं- सांप्रदायिक ताक़तें, दक्षिणपंथी राजनीतिक दल और घरेलू कारणों से भारत को लेकर खड़ा किया गया भय.

बांग्लादेश से गुज़रते हुए: क़िस्त एक

भारत के लिए आवश्यक है कि वह बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टियों से अच्छे संबंध कायम करे. यह रेखांकित करना चाहिए कि विपक्ष को 40 फीसदी मतदाताओं का समर्थन है

शेख़ हसीना ने जो चुनावी बूथ पर नहीं होने दिया, वह सड़क पर होकर रहा

शेख़ हसीना के ख़िलाफ़ हुआ विद्रोह अपनी तार्किक परिणति पर तब तभी पहुंच सकता है जब वह छात्रों को सुनेगा: यह आंदोलन एक ऐसा समाज बनाने का आंदोलन है जिसमें किसी भी प्रकार का भेदभाव न होगा.

बांग्लादेश में तख्तापलट: भारत के लिए चुनौतियां

क्या बांग्लादेश की आर्थिक तरक्की के गुब्बारे में गैर-बराबरी की हवा थी या शेख हसीना का भारत समर्थक रवैया उन्हें ले डूबा? उनका राजनीतिक अवसान भारत के लिए चिंता का विषय क्यों है?

काज़ी नज़रुल इस्लाम: ‘हिंदू हैं या मुसलमान, यह सवाल कौन पूछता है?’

पुण्यतिथि विशेष: असहयोग आंदोलन की पृष्ठभूमि में रची कविता में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ विद्रोह के आह्वान के बाद नज़रुल इस्लाम ‘विद्रोही कवि’ कहलाए. उपनिवेशवाद, धार्मिक कट्टरता और फासीवाद के विरोध की अगुआई करने वाली उनकी रचनाओं से ही इंडो-इस्लामिक पुनर्जागरण का आगाज़ हुआ माना जाता है.