भारत में कोविड-19 से बचाव के लिए टीके की अब तक 103.99 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं. इसमें से क़रीब 77 फीसदी वयस्कों को पहली डोज़ और सिर्फ 34 फीसदी वयस्कों को ही दोनों डोज़ लग पाई है.
स्क्रोल डॉट इन की रिपोर्ट के मुताबिक़, 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर ज़्यादा कोविड टीकाकरण दिखाने के लिए बिहार सरकार ने 15 और 16 सितंबर के दैनिक टीकाकरण आंकड़ों को कोविन पोर्टल पर अपलोड नहीं किया और इसे 17 सितंबर वाले आंकड़ों में जोड़ा गया.
घरेलू टीकाकरण प्रावधान की घोषणा करते हुए भारत के कोविड -19 टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. वीके पॉल ने कहा कि विशेष रूप से सक्षम तथा चलने-फिरने में असमर्थ लोगों के लिए देखरेख और मानक संचालन प्रक्रिया का पालन करके हम घर पर टीकाकरण का प्रावधान करेंगे. घरेलू टीकाकरण के लिए हम जो व्यवस्था करेंगे, वह प्रभावी और सुरक्षित होगी.
एक एनजीओ इवारा फाउंडेशन ने अदालत में याचिका दायर विशेष रूप से सक्षम लोगों के लिए भी घर-घर जाकर कोविड-19 टीकाकरण की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए याचिका दायर की है.
मार्केट इंटेलिजेंस फर्म अनअर्थिनसाइट के अनुसार, सही नीतियों व रणनीतिक बदलाव से देश में विशेष रूप से सक्षम लोगों के लिए रोज़गार के अवसर बढ़ सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लगभग तीन करोड़ विशेष रूप से सक्षम आबादी में से क़रीब 1.3 करोड़ रोज़गार योग्य हैं, पर इसमें से केवल 34 लाख ही कहीं कार्यरत हैं.
एक जनहित याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों से मांग की गई थी कि कोविड-19 महामारी के दौर में विभिन्न खाद्य सुरक्षा तथा ग़रीबी उन्मूलन योजनाओं का लाभ विशेष रूप से सक्षम लोगों को भी दिया जाना चाहिए.