राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि दिल्ली पुलिस बहुत अलग तरीके से काम करती है और प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार केस में दिया गया सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला इस मामले में लागू नहीं होता है.
पूर्व पत्रकार उदय महुरकर की बिना आवेदन किए ही केंद्रीय सूचना आयोग में नियुक्ति हुई थी. उन्होंने मोदी मॉडल पर किताबें भी लिखी हैं. उनकी नियुक्ति को लेकर भी विवाद हुआ था. हाल के दिनों में महुरकर ने अपने कुछ ट्वीट्स में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की नीतियों के प्रति समर्थन जताया है.
दिल्ली विधानसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में राकेश अस्थाना की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के उस फ़ैसले का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है कि पुलिस प्रमुख पद के लिए सिर्फ ऐसे अधिकारियों पर विचार किया जा सकता है, जिनकी सेवानिवृत्ति में कम से कम छह महीने बचे हों.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने एजीएमयूटी कैडर से बाहर गुजरात कैडर के राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के तौर पर नियुक्ति को मंज़ूरी दी है. अस्थाना की नियुक्ति 31 जुलाई को उनकी सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले हुई है. उनका कार्यकाल एक साल का होगा.
दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 की धारा 4 बी (1) के अनुरूप सीबीआई निदेशक द्वारा उनकी सेवा शर्तों से संबंधित नियमों से कुछ विपरीत होने के बावजूद पद संभालने करने की तारीख से कम से कम दो वर्ष की अवधि के लिए पद पर बने रहने का प्रावधान है.
विशेष रिपोर्ट: पिछले साल नवंबर महीने में मुख्य सूचना आयुक्त और तीन सूचना आयुक्तों की नियुक्ति हुई थी. इससे जुड़े दस्तावेज़ दर्शाते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद सर्च कमेटी ने बिना स्पष्ट प्रक्रिया और मानक के नामों को शॉर्टलिस्ट किया था. प्रधानमंत्री पर दो किताब लिख चुके पत्रकार को बिना आवेदन के सूचना आयुक्त बना दिया गया.
सूचना का अधिकार क़ानून के 15 साल पूरे होने के मौके पर ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश भर में कम से कम 3.33 करोड़ आवेदन दायर हुए. सूचना आयोग समय पर वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित नहीं कर रहे. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद देश भर के सूचना आयोगों में 38 पद ख़ाली हैं, जो इस क़ानून के लिए बड़ा झटका है.
साल 2018 में सीबीआई के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा और उस समय विशेष निदेशक के पद पर तैनात राकेश अस्थाना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की थी, जिस पर हुए विवाद के बाद दोनों को सीबीआई से हटा दिया गया था.
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने कहा कि अस्थाना और सीबीआई के डीएसपी देवेन्द्र कुमार के खिलाफ कार्रवाई आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है.
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने एजेंसी के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर रिश्वतखोरी के मामले की शुरुआत में जांच करने वाले अधिकारी अजय कुमार बस्सी को 28 फरवरी को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया.
सीबीआई ने साथ ही रॉ प्रमुख एसके गोयल को मामले में पाक साफ करार दिया है जो इस मामले में जांच के घेरे में थे. सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र कुमार को भी एजेंसी से क्लीन चिट मिल गई जिन्हें 2018 में गिरफ्तार किया गया था और जिन्हें बाद में जमानत मिल गई थी.
साल 2014 के बाद से ये चौथा मौका है जब फिर से मुख्य सूचना आयुक्त का पद खाली हुआ है लेकिन अभी तक किसी की नियुक्ति नहीं हुई है. आयोग में कुल पांच पद खाली हैं जिसमें से चार पद नवंबर 2018 से खाली पड़े हुए हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मैंने सोनिया गांधी द्वारा 13 जनवरी को नई दिल्ली में बुलाई गई बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है क्योंकि मैं बुधवार को पश्चिम बंगाल में वामपंथी और कांग्रेस की हिंसा का समर्थन नहीं करती.
केंद्र की आर्थिक नीतियों को मज़दूर और जन विरोधी बताते हुए दस मज़दूर संगठनों एक दिवसीय हड़ताल का आयोजन किया था. सार्वजनिक कंपनियों की बिक्री, रेलवे, रक्षा, कोयला समेत अन्य क्षेत्रों में 100 प्रतिशत एफडीआई के ख़िलाफ़ मज़दूर संगठनों ने प्रदर्शन किया.
केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने कहा, 'अगर कोई किसी भी तरह के धरने में शामिल होता है तो सैलरी काटने के अलावा उसके खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.'