पिछले कुछ वर्षों में पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों, छात्रों, श्रमिकों और आदिवासियों पर आरोप लगाने के लिए यूएपीए का अंधाधुंध इस्तेमाल किया गया है. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में जन सुरक्षा क़ानून (पीएसए) और छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा अधिनियम, राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (एनएसए) और आईपीसी में राजद्रोह जैसे अन्य कठोर अधिनियम भी लागू किए गए हैं.
वैश्विक नागरिक समाज संगठन ‘सिविकस’ की ओर से जारी एक रिपोर्ट में भारत के संदर्भ में यूएपीए और एफ़सीआरए जैसे कठोर क़ानूनों का इस्तेमाल उन लोगों और एनजीओ के ख़िलाफ़ करने की बात कही गई है, जो सरकार से सहमत नहीं होते हैं.