29 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने राज्यों को पहचान के सबूत के बिना ही यौनकर्मियों को राशन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. अब कोर्ट ने समुदाय आधारित संगठनों से अपने क्षेत्रों में यौनकर्मियों की एक सूची तैयार कर उसे संबंधित ज़िला क़ानूनी सेवा प्राधिकरण या नाको द्वारा सत्यापित करने का निर्देश दिया है. अदालत ने यह भी कहा कि ऐसा करते हुए राज्य के अधिकारी मामले में गोपनीयता बनाए रखें.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को चार हफ़्ते के भीतर इस आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट दाख़िल करने का भी निर्देश दिया है कि कितनी यौनकर्मियों को राशन दिया गया. एक याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी की वजह से यौनकर्मियों की स्थिति बहुत ही ख़राब है. उन्हें राशन कार्ड और दूसरी सुविधाएं उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है.