दुर्गा पूजा को अब तीन सप्ताह भी नहीं रह गए हैं लेकिन कलकत्ता के बाज़ार लगभग ख़ाली हैं. एक जूनियर डॉक्टर के सामूहिक बलात्कार और हत्या का जन आक्रोश रास्तों पर बह रहा है, चौराहों पर उमड़ रहा है. बंगनामा स्तंभ की दसवीं क़िस्त.
दुर्गा पूजा को अब तीन सप्ताह भी नहीं रह गए हैं लेकिन कलकत्ता के बाज़ार लगभग ख़ाली हैं. एक जूनियर डॉक्टर के सामूहिक बलात्कार और हत्या का जन आक्रोश रास्तों पर बह रहा है, चौराहों पर उमड़ रहा है. बंगनामा स्तंभ की दसवीं क़िस्त.