अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में को लेकर उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण से यह प्रदर्शित होता है कि वंचित और आदिवासी बच्चे शिक्षा विभाग द्वारा असहाय छोड़ दिए गए. स्कूल दो साल बंद रहे, लेकिन बच्चों के लिए कुछ नहीं किया गया. इस दौरान ऑनलाइन शिक्षा केवल मज़ाक बन कर रह गई, क्योंकि सरकारी स्कूलों में 87 प्रतिशत छात्रों की पहुंच स्मार्टफोन तक नहीं थी.
सरकार द्वारा कोविड-19 की दूसरी लहर के अनुमान में चूक पर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ ने कहा कि सरकार लंबे समय तक वायरस के समुदाय के बीच फैलने की बात से इनकार करती रही है, जबकि रिकॉर्ड में मामले लाखों में थे. जनता को आश्वस्त करने के लिए कि सब ठीक है, भ्रामक आंकड़ों का सहारा लिया गया. हम अब इसकी कीमत चुका रहे हैं.
अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ ने लैंगिंग समानता पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शहरी रोज़गार गारंटी योजना शुरू करने की बात कहते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के चलते ऐसा करना ज़रूरी है. उन्होंने कहा कि इसके तहत करीब एक तिहाई नौकरियां महिलाओं को दी जा सकती हैं.
झारखंड के लातेहार जिला प्रशासन ने यह कहते हुए मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि भूख से मौत को साबित करने के लिए पर्याप्त जानकारी नहीं है.
उत्तराखंड में सीनियरों द्वारा छात्र की पीट-पीटकर हत्या के बाद प्रशासन द्वारा शव को स्कूल में ही दफनाने समेत आज की बड़ी ख़बरें. दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरों का अपडेट.
द्रेज़ को गुरुवार सुबह आचार संहिता के दौरान बिना प्रशासनिक अनुमति के सार्वजनिक बैठक करने के चलते हिरासत में लिया गया था.
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा कि सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, सामाजिक सुरक्षा जैसे कई क्षेत्रों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों को औद्योगिक घरानों या राज्य सरकारों के भरोसे छोड़ दिया है.
मनरेगा का मसौदा तैयार करने वाले अर्थशास्त्री ने कहा, आप विकास सूचकों की किसी भी रैंकिंग, गरीबी सूचकांक देखिए, गुजरात लगभग हमेशा बीच के आसपास ही रहा है.