अर्थशास्त्रियों ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में कहा है कि उन्होंने दिसंबर 2017 और 2018 में इसी तरह के प्रस्तावों के साथ उनके पूर्ववर्ती अरुण जेटली को दो समान पत्र भेजे थे, लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया था.
देश-विदेश की शीर्ष वित्तीय संस्थाओं से जुड़े अर्थशास्त्रियों ने कहा कि वित्तीय आंकड़े नीतियां बनाने और जनता की भलाई के लिए महत्वपूर्ण है. इसलिए ज़रूरी है कि इन आंकड़ों को इकठ्ठा और प्रसारित करने वाली संस्थाएं राजनीतिक हस्तक्षेप का शिकार न हों और इनकी विश्वसनीयता बनी रहे.
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि बीते साल प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गयी घोषणा के बावजूद मातृत्व भत्ता देने के लिए बनी प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना अब तक लागू नहीं हुई है.