केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित उत्तर में ये आंकड़े उपलब्ध कराए हैं. पश्चिम बंगाल ने वित्त वर्ष 2022-23 में सबसे अधिक 83.36 लाख श्रमिकों के नाम योजना से हटा दिए हैं. दिसंबर 2021 से इस राज्य को इस योजना के लिए केंद्र सरकार से धन नहीं मिला है.
मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: 2016 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य रोज़गार के अवसर पैदा करना और युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें रोज़गार देना था. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक 31 मार्च 2018 तक 20 लाख प्रशिक्षुओं को तैयार करने का लक्ष्य था, जिसमें से केवल 2.90 लाख प्रशिक्षु तैयार हुए. इनमें से भी महज़ 17, 493 को इस योजना का लाभ मिला.