तामसिक भोजन पर रोक, अंडा-मांसाहार पर पाबंदी जैसी बातें भारत की जनता के वास्तविक हालात से कतई मेल नहीं खातीं, क्योंकि भारत की आबादी का बहुलांश मांसाहारी है. साथ ही, किसी इलाक़े विशेष की नीतियां बनाने के लिए लोगों के एक हिस्से की आस्था को वरीयता देना एक तरह से धर्म, जाति, नस्लीयता आदि आधार पर किसी के साथ भेदभाव न करने की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन भी है.