सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि विडंबना यह है कि एक वैश्विक रूप से जुड़े समाज ने हमें उन लोगों के प्रति असहिष्णु बना दिया है, जो हमारे अनुरूप नहीं हैं. स्वतंत्रता उन लोगों पर जहर उगलने का एक माध्यम बन गई है, जो अलग तरह से सोचते हैं, बोलते हैं, खाते हैं, कपड़े पहनते हैं और विश्वास करते हैं.
केरल हाईकोर्ट के जस्टिस ए. मुहम्मद मुस्ताक ने राजनीतिक बैठकों, प्रदर्शनों या प्रचार में सक्रिय रूप से लड़कियों की भागीदारी पर रोक लगाने वाले नियम को खत्म करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत हर व्यक्ति को अपना राजनीतिक विचार रखने का मौलिक अधिकार है.