मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने विधानसभा में बताया है कि पिछले साल मई से राज्य में हिंसा से संबंधित लापता व्यक्तियों के 63 मामले दर्ज किए गए हैं. उनमें से 26 लापता व्यक्तियों को मृत घोषित कर दिया गया, नौ लोग जीवित पाए गए और 28 लोग अब भी लापता हैं.
राज्य में मेईतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच चल रहे जातीय संघर्ष की पृष्ठभूमि में मणिपुर स्थानों का नाम विधेयक, 2024 को विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया, जिसके तहत स्थानों का नाम बदलने पर तीन साल तक की जेल की सज़ा और तीन लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
मणिपुर के चुराचांदपुर ज़िले में राहत शिविरों में रहने वाले हज़ारों लोगों ने एक विरोध प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि 15 फरवरी की हुई ताज़ा हिंसा के बाद केंद्र सरकार द्वारा आपूर्ति किया गया राशन उन तक पहुंचना बंद हो गया है. राज्य सरकार ने कहा है कि हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने दो ट्रक जला दिए थे, जिनमें राहत सामग्री थी.
मणिपुर पुलिस की मणिपुर राइफल्स और इंडियन रिज़र्व बटालियन के कुकी-ज़ो जनजाति समुदाय के कर्मचारियों ने एक ट्रांसफर आदेश में हस्तक्षेप करने के लिए शीर्ष आदिवासी मंच इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम से संपर्क किया था. ऐसा दावा था कि यह आदेश उन्हें राज्य के बहुसंख्यक मेईतेई-प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में तैनात करता है, जहां उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं.
मणिपुर हाईकोर्ट की जस्टिस एमवी मुरलीधरन की एकल पीठ ने 27 मार्च 2023 को एक आदेश जारी कर मणिपुर की एन. बीरेन सरकार से राज्य की एसटी सूची में मेईतेई समुदाय को शामिल करने की सिफ़ारिश पर विचार करने के लिए कहा था. हाईकोर्ट ने अपने ताज़ा आदेश में इसमें संशोधन कर दिया है.
यह आह्वान कुकी समुदाय के एक हेड कॉन्स्टेबल को चुराचांदपुर एसपी द्वारा निलंबित किए जाने के मद्देनज़र किया गया है. कॉन्स्टेबल को बहाल करने की मांग को लेकर बीते 15 फरवरी को भड़की हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई है. मणिपुर सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के काम बंद को ‘अवैध’ बताते हुए क़ानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है.
कुकी समुदाय के एक हेड कॉन्स्टेबल को निलंबित किए जाने के बाद भीड़ ने चुराचांदपुर के एसपी और ज़िला कलेक्टर कार्यालय पर हमला किया, जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई. कुकी-जो नागरिक समाज समूह आईटीएलएफ ने एक बयान में कहा कि चुराचांदपुर एसपी ज़िले में हुई हिंसा की इस घटना के लिए पूरी तरह से ज़िम्मेदार हैं.
बीते 30 जनवरी को इंफाल पश्चिम ज़िले में यह घटना कुकी-ज़ो प्रभुत्व वाले कांगपोकपी ज़िले की सीमा के क़रीब हुई. इस महीने मणिपुर में गोलीबारी की विभिन्न घटनाओं में सीमावर्ती शहर मोरेह में तैनात दो मेईतेई पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 9 लोग मारे गए हैं. राज्य में मई 2023 में जातीय हिंसा भड़की थी.
मणिपुर में बीते 27 जनवरी को कुकी समुदाय के कम से कम दो लोगों की हत्या कर दी गई और खमेनलोक क्षेत्र में कई घर और चर्च जला दिए गए. इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने आरोप लगाया कि दोनों मृतक अपने गांव की सुरक्षा कर रहे थे और कथित तौर पर असम राइफल्स द्वारा उन पर गोलीबारी की गई.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सर्वदलीय बैठक में अफ़वाहों पर विराम लगाते हुए बताया कि मई में हिंसा शुरू होने के बाद से राज्य में अनुच्छेद 355 प्रभावी है. यह अनुच्छेद केंद्र को राज्य सरकार को बर्ख़ास्त किए बिना राज्य के क़ानून-व्यवस्था को संभालने का अधिकार देता है.
बीते 17 जनवरी को पुलिस मुख्यालय पर हमला करने के अलावा भीड़ ने थौबल के खंगाबोक इलाके में थर्ड इंडियन रिजर्व बटालियन के परिसर को भी निशाना बनाया था. म्यांमार से लगे तेंगनौपाल ज़िले के मोरेह शहर में दो पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद यह घटना सामने आई है. इन स्थितियों को लेकर राज्य के गृह विभाग के आयुक्त ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है.
मणिपुर के बिष्णुपुर ज़िले के एक गांव से बीते 10 जनवरी को मेईतेई समुदाय के चार लोगों के लापता हो गए थे. इनमें से तीन लोगों के शव मिलने के बाद चौथे व्यक्ति की तलाश की जा रही है. 3 मई 2023 को राज्य में मेईतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.
25 दिसंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित क्रिसमस लंच में शामिल ईसाई लोगों को लेकर जारी एक बयान में कहा गया है कि साल 2014 के बाद ईसाइयों पर हो रहे लक्षित हमलों के अलावा मणिपुर और अन्य जगहों पर हमारे लोगों के साथ जो हो रहा है, उसे देखते हुए उनके पास इस निमंत्रण को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार करने का मौका था.
बीते 1 जनवरी को मणिपुर के घाटी ज़िले थौबल के लिलोंग इलाके में हथियारबंद लोगों ने चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. घटना के संबंध में मेईतेई पंगलों (मेईतेई मुसलमानों) द्वारा गठित संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) की मांगें सरकार ने मान ली हैं, जिसके बाद समिति शवों के अंतिम संस्कार करने पर सहमत हो गई है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पिछले महीने जातीय हिंसा प्रभावित मणिपुर में एक ही घटना में 13 लोगों की हत्या का स्वत: संज्ञान लेते हुए इस घटना को ‘ख़तरनाक और परेशान करने वाला’ बताया है. बीते 4 दिसंबर को म्यांमार सीमा के क़रीब मणिपुर के तेंगनौपाल ज़िले में भीषण गोलीबारी के बाद कम से कम 13 लोगों के शव मिले थे.