यूरोपीय संसद की विदेश मामलों की समिति द्वारा एक रिपोर्ट में भारत में मानवाधिकार रक्षकों और पत्रकारों के लिए असुरक्षित कामकाजी माहौल, भारतीय महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों द्वारा सामना की जाने वाली कठिन परिस्थितियों और जाति आधारित भेदभाव के बारे में कई टिप्पणियां की गई हैं.
यूरोपीय संसद के बीस सदस्यों ने भारत सरकार और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ लगे आरोप हटाने और जेल में बंद लोगों को रिहा करने का आग्रह किया है.