ईवीएम पर उठते सवाल के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर की वापसी की मांग ख़ारिज की

शीर्ष अदालत में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है. मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीशों ने कहा कि वे अभी तक नहीं भूले हैं कि जब मतपत्रों के माध्यम से वोट डाले जाते थे, तो क्या होता था.

ईवीएम से मतदान लोकतंत्र के लिए सर्वोपरि माने जाने वाले किसी भी सिद्धांत का पालन नहीं करता

मत-पत्रों की पूर्ण पारदर्शिता के विपरीत, ईवीएम-वीवीपैट प्रणाली पूरी तरह से अपारदर्शी है. सब कुछ एक मशीन के भीतर एक अपारदर्शी तरीके से घटित होता है. वहां क्या हो रहा है, उसकी कोई जानकारी मतदाता को नहीं होती. न ही उसके पास इस बात को जांचने या संतुष्ट होने का ही कोई मौका होता है कि उसका मत सही उम्मीदवार को ही गया है.

लोकसभा चुनाव 2019 से पहले राज्यों ने ईवीएम ख़राबी की उच्च दर की जानकारी चुनाव आयोग को दी थी: आरटीआई

कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव के निदेशक वेंकटेश नायक द्वारा आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज़ दिखाते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनावों से ऐन पहले ईवीएम की बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट में ख़राबी की रिपोर्ट कई राज्य करते रहे थे, जिसके बाद चुनाव आयोग ने ईवीएम निर्माताओं से ख़राबी की उच्च दर के कारण खोजने के लिए संपर्क किया गया था.