शीर्ष अदालत ने सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लिए नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पांच जजों की पीठ को भेजते हुए कहा कि इसमें क़ानून से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल हैं, जिन्हें बड़ी पीठ द्वारा तय किया जाना चाहिए.
द वायर एक्सक्लूसिव: आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग को आरक्षण देने वाले 124वें संविधान संशोधन विधेयक पर क़ानून मंत्रालय के अलावा किसी अन्य विभाग के साथ विचार-विमर्श नहीं किया गया था. सरकार ने 20 दिन के भीतर ही इस विधेयक की परिकल्पना कर इसे संसद के दोनों सदनों से पारित कराकर क़ानून बना दिया था.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण पर दिए बयान पर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि ग़रीबों के अधिकारों पर हमला, संविधान सम्मत अधिकारों को कुचलना, दलितों-पिछड़ों के अधिकार छीनना...यही असली भाजपाई एजेंडा है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) 2019 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत के आरक्षण के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की.