सतत आर्थिक विकास के किसी भी दौर के साथ-साथ ग़रीबी में कमी आती है और श्रमबल कृषि से उद्योगों और सेवा क्षेत्रों की तरफ गतिशील होता है. हालिया आंकड़े दिखाते हैं कि देश में एक साल में क़रीब 1.3 करोड़ श्रमिक ऐसे क्षेत्रों से निकलकर खेती से जुड़े हैं. वैश्विक महामारी एक कारण हो सकता है, लेकिन मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों ने इसकी ज़मीन पहले ही तैयार कर दी थी.