कैराना उपचुनाव, मुज़फ़्फ़रनगर दंगों और किसान राजनीति पर राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी से कबीर अग्रवाल की बातचीत.
राष्ट्रीय किसान महासंघ ने देश भर में एक जून से दस दिनों तक सब्जियों, अनाजों और दूध जैसे कृषि उत्पादों की आपूर्ति नहीं करने की घोषणा की है.
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री के नाम लिखे पत्र में किसानों ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण हमें आतंकवादी जैसा होने का एहसास कराता है, इसलिए हम भारतीय सेना की गोलियों से मरना चाहते हैं.
राष्ट्रीय किसान मंच ने कहा कि उद्योगपतियों के व्यापार के लिए सरकारों ने सिंगल विंडो की व्यवस्था कर दी लेकिन किसानों को नलकूप के कनेक्शन के लिए दर-दर भटकने को छोड़ दिया है.
भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर आयोजित मीटिंग में शामिल किसानों ने दावा किया कि बैठक का एजेंडा और उद्देश्य स्पष्ट नहीं है. अधिकारी इसे दूसरी बैठक बता रहे हैं जबकि किसी को पता ही नहीं है कि पहली मीटिंग कब हुई थी.
किसानों का कहना है कि उन्हें उनकी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है. साथ ही, सरकार ने हाईवे बनाने के लिए अधिग्रहीत की गई उनकी ज़मीन का भी पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया है.
ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार में किसान आत्महत्या की घटनाएं कम होने का मतलब यह कतई नहीं कि यहां के किसान खेती कर मालामाल हो रहे हैं. कृषि संकट के मामले में बिहार की तस्वीर भी दूसरे राज्यों की तरह भयावह है.
भारतीय चीनी मिल संघ ने कहा कि वे समय पर किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान करने में असमर्थ हैं.
सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड के एक अधिकारी ने बताया कि गुजरात के लिए बेहद महत्वपूर्ण बांध का जलस्तर 105.50 मीटर के बहुत नाजुक स्तर पर पहुंच गया है.
जन गण मन की बात 208वीं कड़ी में विनोद दुआ महाराष्ट्र में किसानों के प्रदर्शन और 2009 में हुई मेंगलुरु पब हिंसा मामले में श्रीराम सेना के प्रमोद मुतालिक के बरी होने पर चर्चा कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि किसानों की मांगों को लेकर सकारात्मक है सरकार. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि यह सिर्फ़ महाराष्ट्र के नहीं, पूरे देश के किसानों का मुद्दा.
किसान ऋण माफी के साथ ही बिजली के बिल माफ़ करने की भी मांग कर रहे हैं. नासिक से मुंबई तक की यह किसान यात्रा मंगलवार से शुरू हुई. मुंबई पहुंचकर विधानसभा का घेराव करेंगे किसान.
भारतीय किसान यूनियन ने कहा कि किसानों की स्थिति पहले कभी इतनी दयनीय नहीं थी. सरकार को महज़ 24 फसलों का ही नहीं बल्कि सारी फसलों का एमएसपी निर्धारित करना चाहिए.
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, किसानों का एनपीए 66,176 करोड़ है, तो उद्योगों का एनपीए 5,67,148 करोड़ रुपये है. कुल एनपीए में निजी बैंकों के मुक़ाबले सार्वजनिक बैंकों का एनपीए आठ गुना ज़्यादा है.
खेती-किसानी पर कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा से द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु की बातचीत.