12 साल के लंबे अंतराल के बाद फिल्मों में वापसी कर रहे दिग्गज अभिनेता अमोल पालेकर का मानना है कि हिंदी सिनेमा में जाति को एक मुद्दे के रूप में शायद ही कभी उठाया जाता है. उन्होंने कहा कि इस तरह के विषय परेशान करने वाले होते हैं और परंपरागत रूप से मनोरंजक नहीं होते हैं. निर्माता अपनी सिनेमाई यात्रा के दौरान ऐसी फिल्मों को बनाने से कतराते हैं.