ख़ामोश विद्रोह: पितृसत्तात्मक पंचायत के ख़िलाफ़ पुडुचेरी की मछुआरिनों की बग़ावत

पुडुचेरी की अनौपचारिक उर (ग्राम) पंचायतें मछुआरों के कारोबार से लेकर विवाह और इससे जुड़े झगड़ों तक के निपटान के लिए ज़िम्मेदार हैं. हालांकि इनकी सदस्यों में स्त्रियां नहीं थीं, न ही उनकी सुनी जा रही थी. पर अब धीमी रफ़्तार से परिवर्तन आ रहा है.

अब और नहीं ग़ुलामी: बिहार की मछुआरी महिलाओं का यौन शोषण और जातिवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष 

प्रभुत्ववान जातियों द्वारा मछुआरी औरतों का शारीरिक शोषण एक सामान्य घटना थी. भले वे ब्राह्मण हों, यादव या कोई और, पुरुषों की जाति और धन की शक्ति सुनिश्चित करती थी कि शोषित औरतें उत्पीड़न को उजागर न करें.