जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा एकत्र आंकड़ों के अनुसार 30 नवंबर, 2018 तक देश भर में 19.39 लाख दावों को खारिज कर दिया गया था. इस तरह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद करीब 20 लाख आदिवासी और वनवासियों को जंगल की ज़मीन से बेदखल किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से 16 राज्यों के आदिवासी प्रभावित होंगे.
ग्यारह साल पहले इस क़ानून के पारित होने के बाद से आदिवासी समुदाय इस दिन को एक उत्सव के रूप में मनाते आ रहे हैं.