केंद्र सरकार ने भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने और फ्री मूवमेंट रिजीम (एफएमआर) को रद्द करने की घोषणा की है. एफएमआर वर्तमान में सीमा के आसपास के निवासियों को औपचारिक दस्तावेज़ के बिना एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर तक जाने की अनुमति देता है.
भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में कहा है कि म्यांमार की स्थिति का प्रत्यक्ष प्रभाव बढ़ते अंतरराष्ट्रीय अपराधों के रूप में देखा जा सकता है.
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इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारत और म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के साथ मुक्त आवाजाही व्यवस्था ख़त्म करने की घोषणा की थी. मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार चाहती है कि म्यांमार के साथ मुक्त आवाजाही व्यवस्था जारी रहे. उन्होंने गृह मंत्री से मिज़ोरम की ओर बाड़ नहीं लगाने का आग्रह किया है.
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और म्यांमार की सीमा से लगे भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए दोनों के बीच मुक्त आवाजाही व्यवस्था को ख़त्म कर दिया जाए. असम के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस फैसले का स्वागत किया है.
नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा है कि भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के निर्णय पर गहन चर्चा और लोगों से परामर्श की ज़रूरत है. जरूरत पड़ने पर हमें एक फॉर्मूला बनाना होगा कि जनता की समस्या कैसे सुलझाई जाए और घुसपैठ कैसे रोकी जाए. मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा भी बाड़ लगाने के फैसले को ‘अस्वीकार्य’ बता चुके हैं.
मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने कहा है कि भले ही केंद्र म्यांमार के नागरिकों को शरणार्थी का दर्जा नहीं दे सकता है, लेकिन वह उन्हें राहत प्रदान करने में हमारे साथ सहयोग करने के लिए तैयार है. साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी उम्मीद जताई कि केंद्र भारत-म्यांमार सीमा के एक हिस्से पर बाड़ लगाने के क़दम को रद्द कर देगा.
केंद्र सरकार ने उत्तर-पूर्व के चार राज्यों की भारत-म्यांमार सीमा पर मुक्त आवाजाही व्यवस्था ख़त्म करने का फैसला लिया है. मिज़ोरम के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने कहा कि हम दोनों देशों के सीमा को स्वीकार नहीं कर सकते, इसके बजाय हम हमेशा एक प्रशासन के तहत एक राष्ट्र बनने का सपना देखते हैं.