नहीं! नरेंद्र मोदी एलियांस फ़्रांसेज़ अहमदाबाद के पहले सदस्य नहीं थे

1981 में फ्रांसीसी सांस्कृतिक केंद्र 'एलियांस फ़्रांसेज़' की अहमदाबाद में शुरुआत होने पर नरेंद्र मोदी इसके सदस्य बने थे और आठ साल तक इससे जुड़े रहे थे.

रज़ा की दृष्टि में मनुष्य जैसे पंच तत्व से गढ़ा गया है वैसे ही वह प्रकृति का भी अंग है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: भारत की प्राचीन दृष्टि से इत्तेफ़ाक रखते हुए रज़ा मानते हैं कि मानवीय कर्तव्य ऋत को बनाए रखना है जो वे स्वयं अपनी कला के माध्यम से करने की कोशिश करते हैं. उनकी कला चिंतन, मनन और प्रार्थना है.

रज़ा अपने असंख्य प्रेमियों के पास तो लौटे हैं पर लोकतांत्रिक भारत की राज्य-संस्थाओं में नहीं

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: 1948 में सैयद हैदर रज़ा का पूरा परिवार पाकिस्तान चला गया था, वे यह कहकर नहीं गए कि भारत उनका वतन है और वे उसे नहीं छोड़ सकते. अब विडंबना यह है कि उनके कला-जीवन की सबसे बड़ी प्रदर्शनी पेरिस के कला संग्रहालय में हो रही है, भारत के किसी कला संस्थान में नहीं.

पेरिस में सैयद हैदर रज़ा के चित्रों की एकल प्रदर्शनी शुरू हुई

फ्रांस के पेरिस शहर में भारतीय चित्रकार सैयद हैदर रज़ा के चित्रों की प्रदर्शनी आरंभ हो चुकी है. यह किसी भी भारतीय चित्रकार की अब तक की सबसे लंबे समय तक चलने वाली प्रदर्शनी है, जो 14 फरवरी से शुरू होकर 15 मई तक चलेगी.

रज़ा का पुनर्दर्शन: आधुनिक विश्व-कला में भारतीय उपस्थिति

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: रज़ा कहते थे कि चित्र कैसे बनाए जाएं यह कौशल उन्होंने फ्रांस से सीखा पर क्या चित्रित करें यह भारत से. वे दो संस्कृतियों के बीच संवाद और आवाजाही का बड़ा और सक्रिय माध्यम बने. उसी फ्रांस में उनकी अब तक की सबसे बड़ी प्रदर्शनी होना एक तरह से उनकी दोहरी उपस्थिति का एहतराम है.