मूडीज ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था में पिछले दो साल में सुस्ती आई है. हालांकि चालू तिमाही में आर्थिक गति सुधरने की उम्मीद है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय आय का पहला अग्रिम अनुमान जारी किया. इसमें कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट की प्रमुख वजह विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर घटना है.
मूडीज के अलावा रिजर्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और सिंगापुर की वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी डीबीएस बैंकिंग समूह ने भी भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटा दिया है.
लंदन स्थित वैश्विक सूचना प्रदाता आईएचएस मार्किट ने कहा कि सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए किए गए उपायों का असर दिखने में कुछ समय लग सकता है.
कोयला उत्पादन में 20.5 फीसदी, कच्चे तेल में 5.4 फीसदी और प्राकृतिक गैस में 4.9 फीसदी तक की कमी आई. विशेषज्ञों का कहना है कि ये आंकड़ें आर्थिक मंदी की गंभीरता के संकेत हैं.
देश की अर्थव्यवस्था को लेकर अपने बयान की आलोचना होने पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मुझे दुख है कि मेरे बयान के एक हिस्से को संदर्भों से काटकर दिखाया गया. एक संवेदनशील व्यक्ति होने के नाते मैं अपना बयान वापस लेता हूं.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि हर किसी ने आर्थिक वृद्धि का जो अनुमान जताया था, वह 5.5 प्रतिशत से कम नहीं था.
कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और रिफाइनरी उत्पादों के उत्पादन में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि पिछली तिमाही में जीडीपी केवल 5 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो इस ओर इशारा करती है कि हम एक लंबी मंदी के दौर में हैं. भारत में ज्यादा तेजी से वृद्धि करने की क्षमता है, लेकिन मोदी सरकार के चौतरफा कुप्रबंधन के चलते अर्थव्यवस्था में मंदी छा गई है.
इससे पहले वित्त वर्ष 2012-13 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर इतनी कम थी. उस समय ये दर 4.9 फीसदी पर थी.