आय प्रभावित होने के चलते पर्यावरणीय प्रवाह क़ानून कमज़ोर करने को प्रयासरत है विद्युत मंत्रालय

2018 में मोदी सरकार ने गंगा की ऊपरी धाराओं पर बनी पनबिजली परियोजनाओं के लिए 20-30 फीसदी पानी छोड़ना अनिवार्य बताया था. आधिकारिक दस्तावेज़ दर्शाते हैं कि कमाई पर असर पड़ने के चलते विद्युत मंत्रालय ने मौजूदा व निर्माणाधीन परियोजनाओं में इसे लागू करने से छूट दिए जाने की बात कही थी.

उत्तराखंड: 2019 में पीएमओ ने पनबिजली परियोजनाओं के लिए बनाए थे कड़े नियम, राज्य सरकार को थी आपत्ति

दस्तावेज़ों से पता चलता है कि 25 फरवरी 2019 को हुई पीएमओ की एक बैठक में किसी भी नई पनबिजली परियोजना को मंज़ूरी देने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसके साथ ही ऐसे प्रोजेक्ट्स को रोक दिया गया जिनका निर्माण कार्य आधे से कम हुआ था.

2019 में केंद्र की समिति ने बताया था कि फायदे के लिए पनबिजली प्रोजेक्ट गंगा में पानी नहीं छोड़ते

विशेष रिपोर्ट: मोदी सरकार ने अक्टूबर 2018 में एक नोटिफिकेशन जारी किया था कि गंगा की ऊपरी धाराओं यानी कि देवप्रयाग से हरिद्वार तक बनी सभी पनबिजली परियोजनाओं को अलग-अलग सीजन में 20 से 30 फीसदी पानी छोड़ना होगा. आरोप है कि ऐसी परियोजनाएं बहुत कम मात्रा में पानी छोड़ते हैं, जिससे नदी के स्वास्थ्य पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है.

उत्तराखंड सरकार ने पनबिजली परियोजनाओं द्वारा कम पानी छोड़ने की वकालत की थी

विशेष रिपोर्ट: उत्तराखंड में आई भीषण तबाही के बाद राज्य की भाजपा सरकार ने दावा किया है कि वह समस्या का समाधान करने के लिए सभी ज़रूरी क़दम उठा रहे हैं. हालांकि आधिकारिक दस्तावेज़ दर्शाते हैं कि राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर कहा था कि पनबिजली परियोजनाओं द्वारा पानी छोड़ने के प्रावधान में ढील दी जानी चाहिए.

गंगा की अविरलता के लिए घोषित पर्यावरण प्रवाह पर पर्याप्त विचार-विमर्श नहीं हुआ: दस्तावेज़

2018 में मोदी सरकार द्वारा लाए एक क़ानून के तहत गंगा पर बनी जलविद्युत परियोजनाओं को अलग-अलग सीज़न में 20 से 30 फीसदी पानी छोड़ने की बात कही गई थी. दस्तावेज़ दिखाते हैं कि जिस समिति ने ज़्यादा पानी छोड़ने की सिफारिश की थी, उसकी रिपोर्ट केंद्रीय मंत्री की सहमति के बावजूद लागू नहीं की गई.