जर्मनी स्थित एक एनजीओ द्वारा जारी ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स के मुताबिक, साल 2019 में भारत में मानसून सामान्य दिनों के मुक़ाबले एक महीने ज़्यादा देर तक रहा. भारी बारिश के कारण आई बाढ़ से 14 राज्यों में 1,800 लोगों की मौत हुई और 18 लाख लोगों का विस्थापन हुआ था.