पिछले कुछ समय से महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के महिमामंडल की तमाम कोशिशें अपने आप स्वतः स्फूर्त ढंग से नहीं हो रही हैं, यह एक सुनियोजित योजना का हिस्सा है. यह एक तरह से ऐसे झुंड की सियासत को महिमामंडित करना है, जो अगर आगे बढ़ती है तो निश्चित ही भारत की एकता और अखंडता के लिए ख़तरा बन सकती है.
अंबाला की सेंट्रल जेल में 15 नवंबर 1949 को महात्मा गांधी की हत्या के अपराध में नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी दी गई थी. हिंदू महासभा ने कहा कि इस जेल की मिट्टी से बनी प्रतिमा को उनके ग्वालियर कार्यालय में स्थापित किया जाएगा और वे देशभर में गोडसे के 'बलिदान धाम' बनाएंगे.
हिंदू महासभा ने बीते दस जनवरी को ग्वालियर में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के नाम पर ज्ञानशाला की शुरुआत की थी. महासभा की ओर से कहा गया था कि लाइब्रेरी को स्थापित करने का उद्देश्य आज के अज्ञानी युवाओं में सच्ची देशभक्ति को जगाना है, जिसके लिए गोडसे खड़े हुए थे.