‘ऐ बाबू! लिख देना कि बुनकर बर्बाद हो चुके हैं’

बनारस और आसपास के ज़िलों के बुनकरों की गाहे-ब-गाहे चर्चा भी हो जाती है, लेकिन गोरखपुर, खलीलाबाद क्षेत्र के बुनकरों पर तो अब चर्चा भी नहीं होती. ऐसा उद्योग जिसमें लाखों लोगों को रोज़गार मिलता था, अब लगभग ख़त्म होने को है.

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