इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, नगालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के समाचार.
एडिटर्स गिल्ड मणिपुर और मणिपुर हिल्स जर्नलिस्ट्स यूनियन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सरकारी विज्ञापनों के बिलों का भुगतान नहीं करने पर विरोधस्वरूप 16 दिसंबर को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर कोई न्यूज़ बुलेटिन या बहस का कार्यक्रम नहीं होगा, जबकि 17 दिसंबर को प्रिंट मीडिया कोई प्रकाशन नहीं करेगा.
सीबीआई द्वारा मध्य प्रदेश के तीन अख़बारों के मालिकों के ख़िलाफ़ चार अक्टूबर को जबलपुर में मामला दर्ज किया गया. जिनमें से दो सिवनी के और एक जबलपुर के निवासी हैं. शिकायतकर्ता ने इस साल 13 अगस्त को सीबीआई के जबलपुर कार्यालय में आवेदन देकर इन अख़बार मालिकों के ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश, जालसाज़ी और धोखाधड़ी करने के आरोप लगाए थे.
विशेष रिपोर्ट: सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार बिहार में राबड़ी देवी सरकार ने साल 2000 से 2005 के दौरान 23 करोड़ 48 लाख रुपये विज्ञापन पर ख़र्च किए थे. वहीं नीतीश कुमार सरकार ने पिछले पांच साल में विज्ञापन पर 4.98 अरब रुपये ख़र्च किए हैं.
आरटीआई आवेदन के तहत मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कुल 2,62,48,463 रुपये और प्रिंट मीडिया में 1,68,415 रुपये विज्ञापनों पर ख़र्च किया.
'नई दुनिया' अख़बार के 26 अप्रैल के मध्य प्रदेश संस्करण में 24 में से 23 पृष्ठों पर सरकारी विज्ञापन छपे थे. शेष बचे एक पृष्ठ पर अख़बार के संपादक का लेख ‘देश को गति देती मध्य प्रदेश की योजनाएं’ शीर्षक से छपा था.
राज्यसभा में सूचना और प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने बताया कि सरकार ने 2016-17 टेलीविजन चैनलों पर जारी विज्ञापनों पर 315.04 करोड़ रुपये ख़र्च किए.