तमिलनाडु के एक अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में संवैधानिक उल्लंघनों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार के नए आपराधिक क़ानूनों के हिंदी नामकरण को चुनौती दी है. वहीं, बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने नए क़ानूनों को स्थगित कर इनकी संसदीय जांच की मांग उठाई है.
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 की जगह ले ली है. लेकिन 30 जून, 2024 तक के अपराधों का निपटारा पुराने क़ानूनों के अनुसार ही किया जाएगा.
मामला इंदौर के शासकीय नवीन विधि विश्वविद्यालय का है. दिसंबर 2022 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आरोप लगाया था कि क़ानून के विद्यार्थियों को पढ़ाई जा रही एक किताब में हिंदू समुदाय और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं, जिसके बाद कॉलेज प्रिंसिपल, किताब की लेखक और प्रकाशक के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था.