शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने एकीकृत ज़िला सूचना प्रणाली के आंकड़ों के हवाले से संसद में बताया कि जिन 42,074 स्कूलों में पेयजल की सुविधा नहीं है, उनमें सर्वाधिक 8,522 असम में हैं. लड़के और लड़कियों के लिए अलग शौचालय न होने के मामले में भी असम पहले नंबर पर है.
कोविड-19 के चलते स्कूल बंद होने के बाद अब राज्य सरकारें मोबाइल और टीवी के ज़रिये छात्रों तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं. ऐसी कोशिश बिहार सरकार द्वारा भी की गई है, लेकिन आर्थिक-सामाजिक असमानता के बीच प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चों तक इन माध्यमों से शिक्षा पहुंचा पाना बेहद कठिन है.
मामला मुज़फ़्फ़रनगर का है, जहां एक गांव के सरकारी स्कूल में मिड डे मील के दौरान खाने से मरा हुआ चूहा मिलने के बाद एक शिक्षक और आठ बच्चों की तबियत खराब हो गई. जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं.
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले के मामला. इस घटना को लेकर दूध में पानी मिलाने वाली रसोइया का कहना है कि उसने शिक्षामित्र के कहने पर ऐसा किया. मामले में दो शिक्षामित्रों को बर्खास्त किया गया है.
लोकसभा में मिड डे मील योजना को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक बताया कि बीते तीन साल में देश भर में मिड डे मील खाने के बाद 931 बच्चे बीमार पड़ने की शिकायत सामने आई हैं.
मामला सीतापुर के बिचपरिया गांव का है. सोशल मीडिया पर आए एक वीडियो में गांव के प्राथमिक विद्यालय के बच्चे हल्दी मिले पीले पानी के साथ चावल खाते दिख रहे हैं. बेसिक शिक्षा अधिकारी का कहना है कि वीडियो खाना ख़त्म होने के समय का है. बच्चों को सब्जी चावल परोसे गए थे.
मामला नोएडा सेक्टर-58 का है, जहां बुधवार को एक पत्रकार वाहन चेकिंग के दौरान हुई पुलिस की झड़प का वीडियो बना रहा था. वीडियो बनाने से नाराज़ पुलिस ने उसे पीटा और रात भर हवालात में रखा.
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में सरकारी स्कूल के अंदर बच्चों के झाड़ू लगाने का वीडियो बनाने वाले एक पत्रकार को पुलिस ने मामला दर्ज करके गिरफ़्तार कर लिया है. वहीं बिजनौर में सरकारी नल से एक दलित परिवार को पानी भरने से दबंगों द्वारा कथित तौर पर रोके जाने के चलते उनके पलायन करने की खबर छापने के बाद पांच पत्रकारों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है.
साक्षात्कार: उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर के एक सरकारी स्कूल में मिड-डे मील के तहत बच्चों को नमक और रोटी दिए जाने की ख़बर करने के कारण पत्रकार पवन जायसवाल के ख़िलाफ़ ज़िला प्रशासन ने केस दर्ज करा दिया है. द वायर से विशेष बातचीत में पवन ने इस मामले और अपने पत्रकारीय जीवन से जुड़ी चुनौतियों को साझा किया.
उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर के स्कूल में मिड-डे मील में नमक रोटी दिए जाने की रिपोर्ट करने वाले पत्रकार पर एफआईआर होने के बाद अभिभावकों ने कहा कि जब तक मुकदमा वापस नहीं लिया जाता, तब तक विद्यालय का बहिष्कार जारी रहेगा.
भारतीय प्रेस परिषद ने पत्रकार पवन जायसवाल के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर की निंदा करते हुए कहा है कि अपना काम कर रहे एक पत्रकार को इस तरह निशाना बनाना बिल्कुल गलत है.
मिर्जापुर के ज़िला मजिस्ट्रेट अनुराग पटेल ने एफआईआर को सही ठहराते हुए कहा कि किसी स्टोरी को करने का यह कोई तरीका नहीं है. अगर वह प्रिंट पत्रकार हैं तो उन्हें तस्वीरें लेनी चाहिए थी, वीडियो क्यों बनाया. इसलिए हमें लगता है कि वह साजिश का हिस्सा हैं.
एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि ये वीडियो जानबूझकर और प्रायोजित तरीके से छलपूर्वक बनाया गया और उसे वायरल करते हुए सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न की गई है.
एक छात्र के परिजन ने मीडिया को बताया, ‘कभी बच्चों को खाने में नमक और रोटी दी जाती है, तो कभी नमक और चावल. दूध कभी-कभार ही आता है, अधिकतर समय बांटा ही नहीं जाता. केले कभी नहीं दिए जाते. पिछले एक साल से ऐसा ही है.’
नीति आयोग ने सिफारिश की है कि इस बात संभावना तलाशनी चाहिए कि क्या निजी क्षेत्र प्रति छात्र के आधार पर सार्वजनिक वित्त पोषित सरकारी स्कूल को अपना सकते हैं.