एनजीटी द्वारा जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने पर लगी रोक को चुनौती देने वाली यचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिकों के प्रदर्शन करने और शांत जीवन जीने के दोनों परस्पर विरोधी अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता है.
कथित गोरक्षकों और भीड़ द्वारा हो रही हिंसा के ख़िलाफ़ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि डर और अराजकता के माहौल से निपटना सरकार की ज़िम्मेदारी. नागरिक अपने आप में क़ानून नहीं बन सकते.
जन गण मन की बात की 274वीं कड़ी में विनोद दुआ प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा मंत्रालयों से अगले छह महीने मेें उद्घाटन किए जाने लायक परियोजनाओं की सूची मांगने और ताजमहल को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार पर की गई तल्ख़ टिप्पणी पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 273वीं कड़ी में विनोद दुआ नगर निकायों के कुप्रबंधन के चलते आम जनता को हो रही मुश्किलों और रिलायंस के जियो इंस्टिट्यूट को बनने से पहले ही उत्कृष्टता का दर्जा मिलने पर चर्चा कर रहे हैं.
देश को बदलते-बदलते प्रधानमंत्री ख़ुद बदलकर मौनमोदी हो गए हैं. कथित गोरक्षक किसी को मार डालें, कोई बच्ची बलात्कारियों की वहशत का शिकार हो जाए या डीजल-पेट्रोल के दामों में बढ़ोत्तरी रिकॉर्ड तोड़ दे, वे अपना मौन तभी तोड़ते हैं, जब उन्हें अपने मन की बात कहनी होती है.
हर सरकार के दौर में एक राजनीतिक संस्कृति पनपती है. मोदी सरकार के दौर में झूठ नई सरकारी संस्कृति है. जब प्रधानमंत्री ही झूठ बोलते हैं तो दूसरे की क्या कहें. दूसरी संस्कृति है धर्मांधता की.
मोदी के चुनाव जीतने के बाद या फिर उससे कुछ पहले ही मीडिया ने अपनी निष्पक्षता ताक पर रखनी शुरू कर दी थी. ऐसा तब है जब सरकार और प्रधानमंत्री ने मीडिया को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया है. मीडियाकर्मियों की जितनी ज़्यादा अवहेलना की गई है, वे उतना ही ज़्यादा अपनी वफ़ादारी दिखाने के लिए आतुर नज़र आ रहे हैं.
कमल शुक्ला बस्तर में फ़र्ज़ी मुठभेड़, पत्रकारों की सुरक्षा, मानवाधिकार और आदिवासियों के हितों के लिए आवाज़ उठाते रहे हैं.
सारा खेल विज्ञापन निकालकर हेडलाइन हासिल करने का है. जब आप जॉइनिंग लेटर मिलने और जॉइनिंग हो जाने का रिकॉर्ड देखेंगे तो पता चलेगा कि ये भर्तियां नौजवानों को ठगने के लिए निकाली जा रही हैं, नौकरी देने के लिए नहीं.
आधार क़ानून को एक धन-विधेयक के तौर पर पारित किया गया था और इसका संबंध सिर्फ़ भारत की संचित निधि से जुड़ी चीज़ों से होना चाहिए. लेकिन, क्या कोई व्यवस्था के भीतर इस बात पर ध्यान देता है?
सर्वे के अनुसार, वैश्विक स्तर पर पहली बार मीडिया सबसे कम भरोसेमंद संस्थान बना. भरोसे में सर्वाधिक कमी के मामले में अमेरिका अव्वल रहा.
इंक़लाब की बेटी ने कहा कि उनके पिता सरकार और बुद्धिजीवियों द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कारों में बिल्कुल विश्वास नहीं करते थे. अगर वे जीवित होते तो इस पुरस्कार को स्वीकार नहीं करते.
मीडिया से सवाल पूछने की बात करना बेकार है क्योंकि वह सवाल पूछना भूल चुकी है.
पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग दोनों स्तंभों के बीच टकराव की एक बड़ी वजह है.
सरकार का तर्क-अदालतें कार्यपालिका का काम नहीं कर सकतीं. मुख्य न्यायाधीश ने कहा- कोई भी संस्था सर्वोच्चता का दावा नहीं कर सकती, नागरिक अधिकार सर्वोच्च.