सीबीआई ने इस आरोप से इनकार किया है और कहा कि जांच अधिकारी ने मामले में पूरी निष्पक्षता के साथ सबूत इकट्ठा किए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि बलात्कार पीड़िता, उनकी मां, परिवार के अन्य सदस्यों और उनके अधिवक्ता को सीआरपीएफ की सुरक्षा मुहैया करायी जाए. वहीं, सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि 2017 में मामले की जांच के दौरान यूपी पुलिस का रवैया लापरवाही भरा रहा.
जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के साथी शशि सिंह के ख़िलाफ़ भी नाबालिग लड़की के अपहरण के आरोप तय किए हैं.
सीबीआई ने अदालत को बताया कि विधायक और उसके सहयोगियों ने एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें 17 वर्षीय बलात्कार पीड़िता के पिता पर देशी पिस्तौल और पांच कारतूस रखने का आरोप लगाया था.
एम्स के डॉक्टरों ने बताया है कि पीड़िता और उनके वकील की हालत अब भी नाज़ुक हैं. उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है.
सीबीआई ने दिल्ली की तीस हजारी अदालत में कहा कि जांच में पता चला है कि आरोपी कुलदीप सेंगर द्वारा जून 2017 में पीड़िता के साथ बलात्कार और शशि सिंह के साथ साज़िश में शामिल होने के आरोप सही हैं.
उन्नाव बलात्कार पीड़िता के वकील को मंगलवार सुबह बेहतर इलाज के लिए विशेष एयर एंबुलेंस से लखनऊ से दिल्ली लाया गया. वह अभी भी कोमा में हैं.
विधायक कुलदीप सेंगर को तिहाड़ जेल स्थानांतरित करने का आदेश दिल्ली की अदालत ने दिया है. इससे पहले जान का खतरा बताने पर बीते 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रायबरेली जेल में बंद पीड़िता के चाचा को तिहाड़ जेल शिफ्ट करने का आदेश दिया था.
पीड़िता बीते आठ दिनों से लखनऊ के केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हैं. सोमवार को अस्पताल की ओर से बताया गया कि पीड़िता और उनके वकील की हालत गंभीर लेकिन स्थिर है. पीड़िता हादसे के नौ दिन बाद होश में आई हैं जबकि वकील अब भी कोमा में हैं.
पिछले महीने 28 जुलाई को रायबरेली में एक तेज रफ्तार ट्रक ने उन्नाव बलात्कार पीड़िता की कार को टक्कर मार दी थी. हादसे में पीड़िता के परिवार के दो सदस्यों की मौत हो गई. मामले की जांच सीबीआई कर रही है.
उन्नाव रेप पीड़िता के चाचा ने रायबरेली जेल में जान का खतरा बताते हुए दिल्ली के तिहाड़ जेल में भेजने की मांग की थी.
दो साल पहले उन्नाव की उस नाबालिग के नौकरी मांगने जाने पर स्थानीय विधायक ने बलात्कार किया. कई चेतावनियों के बावजूद उसने इंसाफ के लिए लड़ाई शुरू की, जिसमें कई परिजनों को हार चुकी वो पीड़िता आज अस्पताल में ख़ुद अपनी ज़िंदगी के लिए लड़ रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को निर्देश दिया कि मृत और मानसिक रूप से अस्वस्थ पीड़ितों की पहचान किसी भी तरह से उजागर नहीं की जा सकती है, चाहे इसमें माता-पिता की सहमति ही क्यों न हों. कोर्ट ने समाचार चैनलों से ऐसे मुद्दे को टीआरपी के लिए सनसनी बनाने से बचने को कहा.
याचिका में कहा गया था कि धारा 376 सिर्फ महिलाओं को पीड़ित और पुरुषों को अपराध करने वाला मानती है. इसमें महिला द्वारा महिला पर गैर-सहमति से यौन हिंसा या फिर पुरुष द्वारा दूसरे पुरुष या फिर किसी ट्रांसजेंडर समुदाय के व्यक्ति द्वारा दूसरे ऐसे ही व्यक्ति पर या किसी पुरुष के साथ महिला द्वारा किए गए अपराध को शामिल नहीं किया गया है.
#मीटू आंदोलन के मद्देनज़र गठित इस समूह के अध्यक्ष गृह मंत्री राजनाथ सिंह होंगे और सदस्यों में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, मेनका गांधी और नितिन गडकरी शामिल हैं.